Tuesday, March 2, 2021

दशरथ विश्वामित्र संवाद


 
महर्षि विश्वामित्र राजा दशरथ से राम-लखन को साथ ले जाने की याचना करते हुए कहते हैं।

सुनो राजन पड़ी विपदा, नहीं अब चैन आता है।
वनों के बीच दानव दल, बड़ा उत्पात मचाता है।
वचन अपना निभाने को,लखन रघुवीर तुम देदो।
करेंगे दूर यही संकट,यही विधि के विधाता है।

यह सुनकर राजा दशरथ बड़े व्याकुल हो गए और महर्षि विश्वामित्र से हाथ जोड़कर बोले।

चलूँ में संग ले सेना,सुनो बालक बड़े छोटे।
नहीं आयु अभी इनकी,दनुज दानव सभी खोटे।
वचन कुछ और प्रभु माँगो,इसी क्षण प्राण मैं दे दूँ।
लगे दशरथ वचन कहने,छलकते नीर ले मोटे।

दशरथ जी के वचन सुनकर महर्षि विश्वामित्र जी बहुत  क्रोधित हुए और राजा दशरथ से बोले।

कभी सोचा न था राजन,वचन देकर युँ तोड़ेगा।
चली जो रीति सदियों से,कभी दशरथ युँ छोड़ेगा।
नहीं तेरी जरूरत है,न हमको क्रोध अब दिलवा।
वचन देकर कभी रघुकुल,युँ अपनी पीठ मोड़ेगा।

महर्षि विश्वामित्र को क्रोधित होते देखकर मुनि वशिष्ठ आगे बढ़ राजा दशरथ को समझाने लगे।

मिटा राजन सभी शंका,विदा रघुनाथ को करदो।
सुनो वाणी कहें गुरुवर,मिटा दो तुम सभी डर को।
करो सम्मान ऋषिवर का,नहीं यह झूठ कहते हैं।
यही बालक गिराएंगे,धरा पे दनुज के सर को

भगवान श्री राम भी अपने पिता से उन्हें महर्षि विश्वामित्र के साथ भेज देने की प्रार्थना करते हुए कहते हैं।

सुनो विनती पिता मेरी,नहीं यह कुल लजाएगा।
पिता के शीश का गौरव,सदा बेटा बढ़ाएगा।
विदा कर दो हमें हँस के,तपोवन को बचाना है।
मिटा के दनुज दानव को,वचन रघुकुल निभाएगा।

राम के वचनों को सुन और मुनि वशिष्ठ के समझाने पर राजा दशरथ शांत मन से महर्षि विश्वामित्र के साथ अपने प्रिय पुत्र राम और साथ में लक्ष्मण को ले जाने की स्वीकृति प्रदान करते हैं।

लेकर ऋषिवर साथ में,चले लखन रघुवीर।
दशरथ जाते देख के,होते बड़े अधीर॥

महर्षि विश्वामित्र राम लखन को लेकर आश्रम के लिए चल दिए। रास्ते में उजाड़ वन को देख राम लखन ऋषिवर से प्रश्न पूछते हैं।

आई कोई आपदा,कानन हुआ उजाड़।
कैसा निर्जन वन पड़ा, टूटे तरुवर झाड़।

हे राम इस आपदा का नाम ताड़का है।उस राक्षसी ताड़का ने इस हरे-भरे वन को अपनी मायावी शक्तियों से उजाड़ दिया है।राम यह गर्जना सुन रहे हो?यह संकेत है कि वो इधर ही आ रही है।उठाओ धनुष-बाण और उसका वध कर दो राम..!

आवत देखी ताड़का,राम लखन मुस्काए।
लिया धनुष फिर हाथ में,दीन्हा बाण चलाए‌।

ताड़का के मरते ही वनप्रदेश में उसकी माया का प्रभाव भी खत्म हो जाता है।चारों ओर हरियाली छा जाती है।पक्षी चहचहाने लगते हैं। महर्षि विश्वामित्र खुश होकर दोनों को आशीर्वाद देते हैं ।

ऋषिवर से आशीष ले,चले राम अविराम ।
दानव दल पे वार कर,करते काम तमाम।

ताड़का वध के उपरांत राम लक्ष्मण को हर तरह से सुयोग्य जानकर महिर्षि विश्वामित्र ने राम-लक्ष्मण को कई दिव्य अस्त्र-शस्त्र और विद्याओं का ज्ञान प्रदान कर हवन की रक्षा की आज्ञा देकर यज्ञ अनुष्ठान करने लगे।

मारीच और सुबाहु आए,
माँस रक्त अम्बर बरसाए।
दशरथ सुत फिर तीर चलाते,
पल में दानव मार गिराते॥

पल भर में मारीच को,फेंका सागर पार।
आश्रम भय से मुक्त कर, किए राम उपकार।

श्री राम और लक्ष्मण ने पर भर में आश्रम को दानव के भय से मुक्त कर दिया और महर्षि विश्वामित्र को यह शुभ संदेश दिया।
 
©® अनुराधा चौहान'सुधी'स्वरचित ✍️
चित्र गूगल से साभार

28 comments:

  1. अद्भुत...

    बहुत सार्थक और हृदयग्राही सृजन

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    1. हार्दिक आभार आदरणीया

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  2. बहुत ही सुन्दर व दिव्य भावों से ओतप्रोत मुग्ध करती रचना - - साधुवाद सह।

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    1. हार्दिक आभार आदरणीय

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  3. बहुत सुंदर सरस सखी !आपने सरल शब्दों में इतना मनोहारी सृजन किया है कि मेरे पास शब्द नहीं है प्रशंसा को ।
    आपकी ये अभिनव शैली सभी काव्य प्रेमियों को जरूर लुभाएगी।
    अभिराम।

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  4. सुंदर,सरल शब्दों में आपने प्रसंग का मनोहारी सृजन किया है सखी👌👌

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  5. अद्भुत!!👏👏👏👏👏👏👏आपकी लेखनी से निकली हर रचना कुछ खास होती है👌👌👌👌👌👌👌संवाद शैली में लिखे गये ये मुक्तक अद्वितीय हैं।

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  6. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति।💐

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  7. अद्भुत अप्रतिम सृजन, भावपूर्ण प्रसंग पढ़कर मन प्रसन्न हो गया😇 अद्वितीय लेखन, रचना की विशेषता मुझे इसकी सहज भाषा शैली लगी 🙏

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  8. अद्भुत अनुपम ,मनोहारी सृजन दी।इतनी सरल सहज भाषा में बहुत ही खूबसूरती से आपने ये संवाद प्रस्तुत किया है,यही इसकी विशेषता भी है।👏🏼👏🏼👏🏼👏🏼👏🏼👏🏼जय श्रीराम

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    1. हार्दिक आभार पूजा 🌹

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  9. बहुत ही खूबसूरत 👌👌👌
    बेहतरीन प्रयोग 💐💐💐💐

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  10. Replies
    1. हार्दिक आभार आदरणीय

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  11. बहुत सुंदर लिखा है आपने....👌👌👌

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    1. हार्दिक आभार शिवानी जी

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  12. उत्कृष्ट रचना

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    1. आपका हृदयतल से आभार

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  13. आदरणीय अनुराधा जी, आपकी रचना दिल को छू गई..सुंदर प्रसंग का मनोहारी वर्णन..
    आपके इस सृजन से याद आता है कि जब मैं छोटी थी तो रेडियो पर गीतों भरी कहानी कार्यक्रम आता था जो बड़ा ही कर्ण प्रिय होता था । आपसे बड़ी प्रेरणा मिलेगी ..सादर नमन ..

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    1. आपका हृदयतल से आभार जिज्ञासा जी।

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  14. बहुत सुन्दर रचना

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    1. हार्दिक आभार आदरणीय

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  15. बहुत ही खूबसूरती से रचा है आपने प्रभु राम के प्रसंग को , बहुत बहुत बधाई हो, महिला दिवस की भी बधाई हो, सादर नमन, शुभ प्रभात

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    1. हार्दिक आभार आदरणीया

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