Sunday, July 4, 2021

सुमुखि ( मानिनी ) सवैया

 *१--उपहार*

निहार रही मुख आनन में,
छवि राम बसी सिय के मन में।
सखी हँस संग किलोल करें,
मुस्कान लिए घर आँगन में।
अपार खुशी फिर नीर बनी,
नयना छलके लग सावन में,
समीर सुगंध बिखेर चली,
उपहार बने रघु जीवन में।


*२--रघुवीर*
प्रहार करे रिपु काँप उठे,
रघुवीर धरा पर आन खड़े।
निहाल सभी फिर देव हुए,
तलवार चलीं अरि भूमि पड़े।
सचेत सदैव बढ़े तनके,
रणवीर बने रण में लड़े। 
नहीं पग रोक सके इनका,
पथ ढाल बने यह आन अड़े।

शिल्प विधान 
मानिनी सवैया 23 वर्णों का छन्द है। 7 जगणों और लघु गुरु के योग से यह छन्द बनता है।११,१२ वें वर्णों पर यति अनिवार्य है।
121 121 121 12, 1 121 121 121 12

*अनुराधा चौहान'सुधी'✍️*
चित्र गूगल से साभार

29 comments:

  1. हर रचना चमत्कृत कर देती है । सुंदर ।

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    1. आत्मीय आभार आदरणीया।

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  2. आपकी लिखी रचना सोमवार 5 जुलाई 2021 को साझा की गई है ,
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    संगीता स्वरूप

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    1. हार्दिक आभार आदरणीया।

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  3. अति सुंदर छंद।
    साहित्यिक लुप्तप्रायः विधाओं के प्रति आपका समर्पण और.प्रयास सराहनीय है।

    सस्नेह
    सादर।

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    1. हार्दिक आभार श्वेता जी

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  4. बहुत सुन्दर छन्द बद्ध रचना!साधुवाद!

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  5. श्रेष्ठ रचना.. बताइए कृपया ये कौन सा छंद है

    बन बाग उपबन बाटिका सर कूप बापीं सोहहीं।
    नर नाग सुर गंधर्ब कन्या रूप मुनि मन मोहहीं॥
    कहुँ माल देह बिसाल सैल समान अतिबल गर्जहीं।
    नाना अखारेन्ह भिरहिं बहुबिधि एक एकन्ह तर्जहीं
    सादर...

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    1. हार्दिक आभार आदरणीया।

      यह हरिगीतिका छंद है।

      2212 2212 2212 2212

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  6. वाह!सखी ,अद्भुत !

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    1. हार्दिक आभार आदरणीय

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  8. बहुत सुंदर छंद बद्ध रचना।
    बधाई

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    1. हार्दिक आभार आदरणीया

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    1. हार्दिक आभार आदरणीय

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  10. बहुत सुंदर प्रिय अनुराधा जी। श्रृंगार और वीर रस और वो भी छंद विधान में बंधा। इस दिशा में आपकी साधना बहुत सराहनीय और प्रेरक है। हार्दिक शुभकामनाएं आपको।

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  11. बहुत सुन्दर भाव सृजित किये अनुराधा जी । छन्द का शिल्प विधान पोस्ट कर आपने सीखने का मार्ग प्रशस्त किया है ।

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    1. हार्दिक आभार सखी।

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    2. सुमुखि सवैया की जानकारी के साथ बहुत ही मनभावन लाजवाब सृजन।
      वाह!!!

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    1. हार्दिक आभार आदरणीया

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  13. आदरणीया मैम, अत्यंत सुंदर रचना । आपके दोनों छंदों को पढ़ कर लगा जैसे माँ जानकी और प्रभु राम के साक्षात दर्शन कर रही हूँ । इतने दिनों बाद इतनी प्यारी सीता -स्तुति पढ़ कर मन आनंदित है । सखियों के साथ खेलती माँ जानकी और असुरों के साथ यद्ध करते प्रभु राम, दोनों ही छवि बहुत सुंदर । इस भावपूर्ण रचना के लिए हार्दिक आभार व आपको प्रणाम ।

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    1. हार्दिक आभार आदरणीय

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  14. सुंदर रचना का सृजन, विलम्ब से आने के लिए क्षमा करें अनुराधा जी।

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    1. आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया के लिए आपका हार्दिक आभार जिज्ञासा जी।

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  15. हार्दिक आभार अनंता जी।

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