Saturday, October 24, 2020

जय मात भवानी


 ऊँचा सजा भवन,जय माँ अंबे।
ज्योत जले अखंड,जय जगदंबे।

पूरन काम करें,मात भवानी।
घर भंडार भरे,ज्योत सुहानी।

कष्ट निवारे माँ,मंदिर बसती।
खुशियाँ की बारिश,माता हँसती।

पुष्प खिले आँगन,आशीष मिले।
आशा का दीपक,हर द्वार जले।

टूट रहीं साँसें, भक्त पुकारे।
नवरात्री आँगन,बसो हमारे।

सुख की है छाया,आँचल तेरे।
मूरत हो तेरी,बस मन मेरे।

जीवन ज्योत जले,तेरी माया।
नवरूपा अंबे,शुभ दिन आया।

घनघोर अँधेरा, दूर हटेगा।
बंजर यह जीवन, फूल खिलेगा।

***अनुराधा चौहान'सुधी'***
चित्र गूगल से साभार

Wednesday, October 21, 2020

सिंदूरी संध्या


 जीवन पथ कंटक,सदा मिला है ।
मानो इस सच को,सदा फला है।

आँख फेरते सब,देते गाली।
मंत्र सीख लो यह,हो खुशहाली ‌

बैर भाव दीपक,हृदय जला है
भीतर मीठा फल ,सदा गला है।

सिंदूरी संध्या,सबकी चाहत।
करता कड़वा विष,जीवन आहत।

अवगुण ये मानव,सदा मिला है।
बनकर वो दानव,सदा छला है।

हेर फेर जीवन,सत्य यही है।
माटी की काया,सदा ढही है।

***अनुराधा चौहान'सुधी'***

विज्ञात योग छंद

Tuesday, October 13, 2020

अटल इरादे

चट्टानों से अटल इरादे लिए
मन में कुछ पाने की चाह लिए
हम सजे-संवरे निकल पड़े
राहों में कितने मोड़ पड़े
हर मोड़ पे एक तजुर्बा नया
जीवन का देखा रूप नया
जीना उतना नहीं है सरल
पग-पग पीते यहाँ लोग गरल
कोई भी राह आसान नहीं
विषधरों की नहीं पहचान कहीं
फिर भी बढ़ना स्वभाव मेरा
मंज़िल पाना था ख्व़ाब मेरा
आशा की एक किरण लेकर
मुश्किलों को चली मार ठोकर
चुनौतियाँ पग-पग मिली खड़ी
हिम्मत रख हर डर से लड़ी 
कंटक चुभे पर होंठ सिले
खुशियों के सुनहरे फूल खिले
मनोबल कभी न टूटने दिया
आँधियों में जला आस का दिया
मजबूत इरादे से पूरा सपना
जग ने जाना नाम अपना
आशाओं का बरसा सावन
सब लगा बड़ा ही मनभावन
लक्ष्य नहीं है मुश्किल पाना
यह बात आज हमने जाना।
***अनुराधा चौहान'सुधी'***
चित्र गूगल से साभार 

रामबाण औषधि(दोहे) -2

  11-आँवला गुणकारी है आँवला,रच मुरब्बा अचार। बीमारी फटके नहीं,करलो इससे प्यार॥ 12-हल्दी पीड़ा हरती यह सभी,रोके बहता रक्त। हल्दी बिन पूजा नही...