Friday, August 27, 2021

अंगद के वचन


 आजा शरण श्री राम की,
सुन ओ अभिमानी।
लंका का विनाश होगा,
बात जो  न मानी।


बंधुओं को साथ ले,
दाँत तृण दबाए।
माता सीता साथ लिए,
चल शीश नवाए।
होगा फिर उद्धार तेरा,
सुनो ओ अज्ञानी।
आजा शरण...

मुझ पर दया भाव के अब,
सभी विचार छोड़।
श्री राम की भक्ति करके,
लोभ मन के तोड़।
जीवन का फिर दान मिले,
नाथ बड़े दानी।
आजा शरण...

दबाए घूमे छः मास,
काँख पिता बाली।
महानता अभी बता के,
सोचे क्या खाली।
जग के नाथ हैं जगन्नाथ,
विधि के हैं ज्ञानी।
आजा शरण...

माता को सम्मान सहित,
ले चलो प्रभु पास।
प्रभु से जीतने की सभी,
छोड़ दो अब आस।
भयानक फिर होगी हार,
मिले नहीं पानी।
आजा शरण.....

जब जीवन का दान मिले,
वंश साथ चलते,
मिटते जो सारे सुख फिर,
रहो हाथ मलते।
छोड़ दो अंहकार अभी,
हठ जो यह ठानी।
आजा शरण....
*अनुराधा चौहान'सुधी'स्वरचित*

Sunday, August 15, 2021

मेघनाद के तंज


 सुने विभीषण वचन जो,उपजा घोर विवाद।

क्रोधित होकर कह रहे,कटु वचन मेघनाद॥

वानर के भय काँपते,काका कैसे वीर।
छोटी देखी आपदा,खो बैठे तुम धीर॥

कैसे तुम कायर बने,बजा रहे क्यों गाल।
वीरों के इस वंश का,करते काला भाल॥

सुन मामा मारीच से,छुप बैठो किस ठौर।
धूनी संतों सी रमा,वही तुम्हारा दौर॥

गुण गाते हो राम का,बन लंका का शाप।
कुल घातक मोहे लगो,काका श्री अब आप॥

बालक मुझको तुम कहो,देवों का मैं काल।
क्षमता मेरी जान के, फिर भी करो बवाल॥

ज्ञान सिखाते तुम मुझे,कहते अनुभव हीन।
कायरता तुम में भरी,लगते हो तुम दीन॥

देव सभी भय काँपते,मैं हूँ इंद्रजीत।
वनवासी उस राम से, तनिक नहीं भयभीत॥

आप कलंकित कुल करो,लेकर उसका नाम।
वासी लंका के बने,रटते हो मुख राम॥
अनुराधा चौहान'सुधी'स्वरचित
चित्र गूगल से साभार

मेरे ईश्वर रामेश्वर


 सागर तट पर ध्यान लगाए
प्रभु करते शंकर सेवा।
हाथों से शिवलिंग रचा फिर,
भोग चढ़ा कदली मेवा।

बेलपत्री शिवलिंग चढ़ाते,
मंत्र बोले ऋषि सारे।
नाथ त्रिलोकी करते पूजन,
बैठ सागर के किनारे।

ऋषि मुनि प्रभु के पास विराजे,
हाथ जोड़ते त्रिपुरारी।
सभी देवगण उमड़ पड़े जब,
 स्तुति गाएं अवध बिहारी।

सभी कार्य निर्बाध चले प्रभु,
सेवा का शुभ फल देना।
एक नाम करता हूँ अर्पण,
स्वीकार आप कर लेना।

नामकरण शिवलिंग करूँ में,
ईश्वर इसे स्वीकारों।
मेरे ईश्वर रामेश्वर,
नाम दिशा गूँजे चारों।

श्री राम प्रभु की भक्ति देखी,
शिव शंकर प्रभु मुस्काए।
यह स्वामी शिव शंकर के है,
मुझको कैसे भरमाए।

स्वीकार करूँ यह वंदन मैं,
यशगाथा यह जग गाए।
नाश अधर्म का करने प्रभो,
रामेश्वर नाथ आए।

सफल मनोरथ सारे होंगे,
तीन लोक के तुम स्वामी।
वरदान नाथ को मेरा यह,
चलता बन जो अनुगामी।

*अनुराधा चौहान'सुधी'स्वरचित*
चित्र गूगल से साभार

Friday, August 13, 2021

रिश्तों का बंधन

 


रिश्तों का बंधन है न्यारा।

जीवन लगता सुंदर प्यारा।

इस बंधन से जो घबराए।

उसके मन को चैन न आए॥


प्रीत बढ़ाकर गले लगाओ।

सबको अपने साथ मिलाओ।

आना जाना खोना पाना।

जीवन का यह रोग पुराना॥


अपनों से अब यूँ मत झगड़ों।

सदा प्रेम के बंधन जकड़ो।

रिश्ते मन से नहीं भुलाना

जीवन का अनमोल खजाना ॥


बीज द्वेष के कभी न बोना।

पड़ता है जीवन में रोना।

रीत सदा ही उत्तम रखना।

प्रेम भरा मीठा फल चखना॥


सच्ची बातें जिसने मानी।

उसकी होती अमर कहानी।

कण्टक कोई पुष्प न खिलता।

तन मिट्टी का मिट्टी मिलता॥

*अनुराधा चौहान'सुधी'स्वरचित*

मात-पिता की सेवा

 


मात-पिता को शीश नवाना।

मनचाहा जीवन सुख पाना।

नहीं निरादर उनका करना।

स्नेह आशीष जीवन भरना॥


आदर का मन भाव जगाकर।

ममता का सिर आँचल पाकर।

सच्चे मन से कर लो सेवा।

सेवा से मिलती है मेवा॥


फिर होती अभिलाषा पूरी।

आलस से रखना बस दूरी।

जीवन में सम्मान मिलेगा।

आँगन सुख का पुष्प खिलेगा॥


करना मत इनको अनदेखा।

हाथ मिटे फिर सुख की रेखा।

रिश्तों में यह जीवन भरते।

खुशियों के घर मोती झरते॥


नींव प्रीत की पक्की होती।

बनके रहती माला मोती।

सुंदर यह संस्कृति हमारी।

सदा सिखाती जिम्मेदारी॥

©® अनुराधा चौहान'सुधी'स्वरचित ✍

चित्र गूगल से साभार

Sunday, August 1, 2021

गिरिजा छंद


 शिल्प विधान ~ गिरिजा छंद
ये *वर्णिक छन्द* है
 १९ वर्ण प्रति चरण
चार चरण दो दो सम तुकांत
२,९,१९ वें वर्ण पर यति हो
मगण सगण मगण सगण सगण मगण लघु
२२,२ ११२ २२२, ११२ ११२ २२२ १

सूने है यमुना के तीरे,चुप क्यों मुरली देखो आज।
रोती हैं सखियाँ भी बैठी,चुप पायल के होते साज।
मीठी आज सुना दे बंशी,महके मन में तेरी प्रीत।
आजा रास रचाएं दोनों,बदले जग की सारी रीत।

ढूँढें आज तुझे गोपाला,तज के हमने सारे काज।
आओ श्याम बता दो धीरे,मन में रखते कैसा राज।
सूने बाग बगीचे सारे,चुप हैं अब क्यों मीठे गीत।
मेरे गीत तुम्हारी बंशी,मन में महके तेरी प्रीत।

*अनुराधा चौहान'सुधी'स्वरचित*
चित्र गूगल से साभार

रामबाण औषधि(दोहे) -2

  11-आँवला गुणकारी है आँवला,रच मुरब्बा अचार। बीमारी फटके नहीं,करलो इससे प्यार॥ 12-हल्दी पीड़ा हरती यह सभी,रोके बहता रक्त। हल्दी बिन पूजा नही...