करूँ विनती सुनो भैया,हमें भी याद कर लेना।
बहन राखी लिए बैठी,कहाँ अब चैन दिन रैना।
लगे सावन बड़ा फीका,न कोई संग दिखता है।
चले आना जरा मिलने,नहीं हमको भुला देना।
बनाई हाथ से राखी,छुपाया प्यार भी इसमे।
सुखी होवे सदा भैया,सजाई आस भी जिसमें।
सुनहरी भोर बन महके,खुशी आँगन सदा बरसे।
कहीं ढूँढें नहीं पाओ,बहन सा दिल कभी किसमें।
हृदय सम्मान हो नारी,यही उपहार तुम देना।
लगे छोटी बहन जैसी,बड़ी को माँ समझ लेना।
कहीं करना न भूले से,कभी अपमान नारी का।
जगत में नाम हो तेरा,खुशी से छलकते नैना।
दिया है जन्म माता ने,करे अति प्यार भी बहना।
कलाई बाँध के राखी,कहे अनमोल है गहना।
बसी है जान भाई में,सदा चाहे खुशी उसकी।
सुनो भैया यही माँगू,सदा ही प्यार से रहना।
***अनुराधा चौहान'सुधी'***
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (29-07-2020) को "कोरोना वार्तालाप" (चर्चा अंक-3777) पर भी होगी।
ReplyDelete--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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हार्दिक आभार आदरणीय
Deleteससुंद रचरच
ReplyDeleteजी आभार
Deleteबहुत भावपूर्ण रचना । रक्षाबंधन की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं ।
ReplyDeleteजी हार्दिक आभार आपको भी हार्दिक शुभकामनाएं
Deleteसुन्दर रचना.....
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीय
Deleteबहुत भावपूर्ण रचना ।रक्षाबंधन की शुभकामनाएँ ।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीया
Deleteबेहतरीन अभिव्यक्ति !!
ReplyDeleteराखी पर बहुत ही भावपूर्ण लाजवाब मुक्तक
ReplyDeleteवाह!!!