चल हट जा ना झूठे
सुन तेरी बातें
हम तुझसे ही रूठे
यह झूठ बहाना है
कर प्यारी बातें
अब घर भी जाना है
क्या बोलूँ मैं छलिए
अब न कटे रातें
यूँ छुप-छुप ना मिलिए
तू आना घर मेरे
दुल्हन बन तेरी
मैं आऊँ घर तेरे
जन्मों का फेरा है
जीवनसाथी हम
यह वादा मेरा है
तेरी इन बातों पे
मैं विश्वास करूँ
तू आजा घोड़ी से
***अनुराधा चौहान***
चित्र गूगल से साभार
बहुत सुंदर माहिया छंद की रचना ...बहुत बहुत बधाई शानदार सृजन की 💐💐💐💐
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर
ReplyDeleteधन्यवाद दी
Deleteवाह क्या बात है सखी ।
ReplyDeleteमुग्ध कर गया आपका काव्य।
हार्दिक आभार सखी
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (27-01-2020) को 'धुएँ के बादल' (चर्चा अंक- 3593) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
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रवीन्द्र सिंह यादव
वाह!!!
ReplyDeleteशानदार माहिया...
हार्दिक आभार सखी
Deleteवाह.. सुंदर माहिया छंद अनु जी
ReplyDeleteहार्दिक आभार सुधा जी
Deleteबहुत सुंदर.... सखी
ReplyDeleteसचमुच बहुत ही सुंदर है ,बधाई हो आपको
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीया
Deleteबहुत सुंदर माहिया छंद की रचना ...बहुत बहुत बधाई
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीया
Deleteतस्वीरों का चयन बहुत ही अच्छा है। .पोस्ट को बहुत आकर्षक बना देता है
ReplyDeleteजी आभार
Deleteसुन्दर माहिया छंद, सुन्दर छवि भी
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीय
Deleteबहुत सुंदर मनमोहिनी रचना । संलग्न चित्र भी मनभावन ।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीय
Deleteबहुत सुन्दर
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