Saturday, January 25, 2020

जन्मों का फेरा (माहिया छंद)

चल हट जा ना झूठे
सुन तेरी बातें
हम तुझसे ही रूठे

यह झूठ बहाना है
कर प्यारी बातें
अब घर भी जाना है

क्या बोलूँ मैं छलिए
अब न कटे रातें
यूँ छुप-छुप ना मिलिए

तू आना घर मेरे
दुल्हन बन तेरी
मैं आऊँ घर तेरे

जन्मों का फेरा है
जीवनसाथी हम
यह वादा मेरा है

तेरी इन बातों पे
मैं विश्वास करूँ 
तू आजा घोड़ी से

***अनुराधा चौहान***
चित्र गूगल से साभार

22 comments:

  1. बहुत सुंदर माहिया छंद की रचना ...बहुत बहुत बधाई शानदार सृजन की 💐💐💐💐

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  2. बहुत ही सुन्दर

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  3. वाह क्या बात है सखी ।
    मुग्ध कर गया आपका काव्य।

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  4. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (27-01-2020) को 'धुएँ के बादल' (चर्चा अंक- 3593) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    *****
    रवीन्द्र सिंह यादव

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  5. वाह!!!
    शानदार माहिया...

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  6. वाह.. सुंदर माहिया छंद अनु जी

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    1. हार्दिक आभार सुधा जी

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  7. बहुत सुंदर.... सखी

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  8. सचमुच बहुत ही सुंदर है ,बधाई हो आपको

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    1. हार्दिक आभार आदरणीया

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  9. बहुत सुंदर माहिया छंद की रचना ...बहुत बहुत बधाई

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    1. हार्दिक आभार आदरणीया

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  10. तस्वीरों का चयन बहुत ही अच्छा है। .पोस्ट को बहुत आकर्षक बना देता है

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  11. सुन्दर माहिया छंद, सुन्दर छवि भी

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    1. हार्दिक आभार आदरणीय

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  12. बहुत सुंदर मनमोहिनी रचना । संलग्न चित्र भी मनभावन ।

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    1. हार्दिक आभार आदरणीय

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