Wednesday, January 19, 2022

क्यों चुप बैठे बनवारी


 हाहाकार मचा धरती पर,
जीवन संकट में भारी।
काल मचाए तांडव जग में,
क्यों चुप बैठे बनवारी।

रोग नाग बन डसता जीवन,
कष्ट बहुत सबने भोगा।
लीलाधर तेरी लीला से ,
कोरोना मर्दन होगा।

मानव की करनी से आहत,
विष ले बहती पुरवाई।
वन उपवन उजड़े हैं सारे,
कोमल कली कुम्हलाई।

मात-पिता की मुस्कान छिनी,
रोती बहन लिए राखी।
बोझ बने दिन गुजर रहे हैं,
आस उड़े बनकर पाखी।

टूट गए अभिमान कई फिर,
लगे दौड़ पर जब ताले।
पैसों की कीमत तब जानी,
खाली देखे जब आले।

प्रभु एक इशारा कर दो अब,
हो फिर से नया सबेरा
सुख जीवन में चहक उठे फिर
हे नाथ आसरा तेरा।

अनुराधा चौहान'सुधी'स्वरचित
चित्र गूगल से साभार

Friday, January 14, 2022

माहिया


इमली के पेड़ तले

बैठे हमजोली

आँखों में स्वप्न पले।१


झूमे पुरवाई जब

लगता है मन में

बजती शहनाई तब।२


इन भींगी रातों में

मिलने आ जाना

पल बीतें बातों में।३


महकी पुरवाई में

कोयल कूक रही

बैठी अमराई में।४


क्या भूल गए बातें?

सूनी हैं गलियाँ

कैसे काटे रातें।५


मिलने को तरस रहीं

अँखियाँ सावन की

बारिश सी बरस रहीं।६


भीगी पलकों पर जब

सजते हैं सपने

मन बदरा बरसे तब।७


यह कैसा मिलना था

बैठ झरोखे पर

बस सपने सिलना था।८


मन को हर्षाती हैं

बूँदे टिप टिप कर

जब राग सुनाती हैं।९


तरु झूम रहे ऐसे

पी मदिरा प्याला 

तन झूम रहा जैसे।१०


घनघोर घटा छाई

माटी भी महकी

पुरवा भी लहराई।११


बारिश का जोर हुआ

दौड़ पड़े बच्चे

गलियों में शोर हुआ।१२


गोरी मुस्काती है

हाथ महकती जब 

साजन की पाती है ।१३


जब जोर तड़कती है

लगती है चपला

घन रूठ भड़कती है ।१४


मेघों का प्रेम घना

बरसे शीतलता

बन धरती पर झरना।१५


वसुधा लहराई है

रिमझिम बारिश में

हरियाली छाई है।१६


जमकर बरसे जलधर

खेतों में हँसकर

हल जोत रहा हलधर।१७


मिलने की आस लिए

छत बैठी सजनी

नयनों में स्वप्न सिए।१८


बहती पुरवाई है

मेघ घिरे अम्बर

चूनर लहराई है।१९


बूँदे टिप टिप टपके

 घोर घटा छाई

चपला छूने लपके।२०


बरसे गरजे सावन

चहक उठे पंछी

 महका सारा उपवन।२१


शिव शंभू बम भोले

काँवड़ लेकर सब

जयकारा यह बोले।२२


जब पुरवा लहराई

जलती थी काया

शीतल मन सहलाई।२३


यह मास सुहाना है

यादें पीहर की

बस मन बहलाना है।२४


सुनके तेरी बातें

मिटती सब चिंता

हँसती हैं फिर रातें।२५


राखी लेकर बहना

रस्ता देख रही

भाई से यह कहना।२६


*गणेशोत्सव*

जड़ काटे क्लेशा की

गलियों में गूँजी

जयघोष गणेशा की।२७


बप्पा घर-घर आए

तोरण द्वार सजे

मंगल जीवन छाए।२८


मोदक का भोग लगा

मन से कर पूजा

सुंदर मन भाव जगा।२९


इच्छा पूरी होगी 

सच के साथ चलो

बनके रमता जोगी।३०


*कृष्ण लीला*

गोकुल में धूम मची

प्रकटे यदुनंदन

खुशियाँ हर ओर नची।३१


चितचोर बड़ा प्यारा

लाल यशोदा का

सब जग में है न्यारा।३२


माखन की कर चोरी

मैया सब झूठी

बरसाने की छोरी।३३


रूठी राधा रानी

यमुना तट मिलना

यह बात नहीं मानी।३४


झूठा यह शोर मचा

डाँट पड़े मेरी

मिलकर सब स्वांग रचा।३५


देखो भींगी अँखियाँ

सच है सब मैया

छेड़े मिलकर सखियाँ।३६


यह बालक छोटा-सा

लाल यशोदा का

कहती सब खोटा-सा।३७


कौतुक श्याम दिखाए

समझी सच मैया

लाल गले लिपटाए।३८


बंशी की धुन प्यारी

बेसुध हो सखियाँ

श्याम ढूँढ़ती क्यारी।३९


लिपटी मन से तृष्णा

कैसे दूर हटें

संकेत बता कृष्णा।४०


जीवन की फुलवारी

प्रभु की इच्छा से

फूल रही है न्यारी।४१


राधा सज धज बैठी

 भूल गए कान्हा

यह बात लिए ऐठी ।४२


प्रभु गोकुल छोड़ गए

पाती लिख लिखकर

दिन कितने बीत गए।४३


जीवन की नैया का

मोहन गिरधारी

है नाम खिवैया का।४४

*फागुन*

मधुमास खिली सरसों

लाई संदेशा

पुरवाई कल परसों।४५


फागुन जब आया है

बादल रंगों का

गलियों में छाया है।४६


नीले पीले रंगों में

दिखते अजब-गजब

रंग लगे अंगों में।४७


भीड़ मेहमानों की

मुख पानी भरती

खुश्बू पकवानों की।४८


आपस में मिले-जुले

रंग लगे गालों

मन से सब बैर धुले।४९


आ खेलें मिल होली

भूल सभी गलती

बन जाएं हमजोली।५०


खट्टी-मीठी यादे

रंगे प्रीत सभी

कर प्यारे वादे।५१


मठरी गुझिया मेवा

बाँटों अपनों में

करके सबकी सेवा।५२


त्यौहार निराला है

रंग रहा सबको

यह मन मतवाला है।५३


*नवरात्रि*

नव रूपों में छाई

मैया छवि प्यारी

खुशियाँ लेकर आई।५४


भेंटे जो गाते हैं

मातृ कृपा उनपर

सच्ची यह बातें हैं।५५


कदली फल भोग लगा

मैया खुश होती

बस मन में भाव जगी।५६


बोते हैं सब ज्वारे

मन विश्वास लिए 

मैया आती द्वारे।५७


पावन यह नवराते

शुभता भर-भर के

करते सब जगराते।५८


हलवा पूरी बूरा

कन्या भोग लगे

उपवास तभी पूरा।५९


हर घर को महकाती

मैया की खुशबू

अहसास लिए आती।६०


नव भोर उजालो में

करते भण्डारा  

सुंदर पंडालो में।६१


पहने हाथों कँगना

जाती जब मैया

सूना करके अँगना।६२


*विजयदशमी*


करते दुर्गापूजा

माँ ममता मूरत

देखा और न दूजा।६३


महिषासुर काल बना

मैया कोरोना 

छाया यह रोग घना।६४


मारो रावण मन का 

दूर बुराई हो

दुख मिटता जीवन का।६५


नारी का मान करो

रावण मार सभी

नवयुग का रंग भरो।६६


विजयादशमी पावन 

मार बुराई को

जीवन हो मनभावन।६७


*दीपावली*


यह रात अमावस की

हर घर बरस रहीं

खुशियों भी पावस की।६८


नाना पकवान बने

निर्धन बैठा चुप

लेकर बस हाथ चने।६९


सब दीप लिए आना

द्वारे दीनों के

इक दीप जला जाना।७०


मिष्ठान भरा थैला

बाँट अनाथों में

करना मत मन मैला।७१


तोरण घर द्वार सजे

रंगोली सुंदर

खुशियों के गीत बजे।७२


जगमग जगमग करती

माला दीपों की

उजियारा जग भरती।७३


हर ओर सुनाई दें

गूँज पटाखों की

सब साथ बधाई दें।७४


पूजा विधि सब करते

आशा जीवन में

मातृ कृपा से भरते।७५


*सर्दी*


शीतल पुरवा बहकी

छूकर तन सबके

सिहरन देकर महकी।७६


घोर कुहासा छाया

ठिठुरन बढ़ती है

सर्दी लेकर आया।७७


आँगन में महक रहा

हलवा गाजर का

मन खाने बहक रहा।७८


सिगड़ी सब ताप रहे

शोर ठहाकों का

सब अम्बर नाप रहे।७९


बातों में बात बने

बैठ रजाई में

बुनते मीठे सपने।८०


अब धूप लगे प्यारी

ठंड गुलाबी सी

रंगत लेकर न्यारी।८१


जब शीतलहर चलती

शॉल ढके अम्मा 

हाथों को फिर मलती।।८२


हाड कँपाए सर्दी

सीमा में प्रहरी

पहन खड़े हैं वर्दी।८३


जब पूस कँपाता है

हरकू खेतों में

तब रात बिताता है।८४


निर्धन फुटपाथ खड़ा

ओढ़े सिर अम्बर

धरती की गोद पड़ा।८५


चलती जब पुरवाई

सौरभ सुमनों की

उपवन में फैलाई।८६


नवपल्लव मुस्काए

ऋतुओं का राजा

खुशियाँ लेकर आए।८७


सरसों लहराई है

पीली रंगत ले

चूनर फहराई है।८८


छुप छुप कर मिलते हैं

दो सच्चे प्रेमी

बस सपने सिलते हैं।८९


हृदय में उमंगों सा

भाव भरे सपने

मन उड़े पतंगों सा।९०


अद्भुत प्रभु की माया

सुंदर जीवन का

वरदान बड़ा पाया।९१

 

सुंदर अम्बर धरती 

मानव की करनी

सतरंग यहाँ भरती।९२


संसार निराला है

प्रभु की इच्छा से

हर ओर उजाला है।९३


केशव माधव मोहन

मुरलीधर लाला

गिरधारी गोवर्धन।९४


यदुनंदन मनमोहन 

यमुना के तट पर

करते हैं नित नर्तन।९५


हरि गोविंद मुरारी

ग्वाला गायों का

प्यारा सा बनवारी।९६


राधे वृषभानु लली

कान्हा से रूठी

गोकुल की बैठ गली।९७


जप लो राधे-राधे

सबके जीवन के

दुख हो जाते आधे।९८


जीवन की हर बाधा

क्षण में दूर करें

बस नाम जपो राधा।९९


कान्हा के हृदय रहें

राधा रानी जी

सच्ची हम बात कहें।१००


मोहन मुरली वाला

प्यारा सा लल्ला

लगता भोलाभाला।१०१


*अनुराधा चौहान'सुधी'*

रामबाण औषधि(दोहे) -2

  11-आँवला गुणकारी है आँवला,रच मुरब्बा अचार। बीमारी फटके नहीं,करलो इससे प्यार॥ 12-हल्दी पीड़ा हरती यह सभी,रोके बहता रक्त। हल्दी बिन पूजा नही...