गौरा जी से ब्याह रचाने
आज चले हैं शिव भोला।
भूत प्रेत सब बने बराती
गले सर्प विषधर डोला।
सजा भस्म आसन पर बैठे
शंकर शंभू कैलाशी।
तीन लोक के पालनहारी
अजर अमर अविनाशी।
गंग शीश पर सदा विराजे
तन पर मृगछाला चोला।
गौरा जी से ब्याह....
शिवा शक्ति के महामिलन की
मंगल बेला फिर आई।
बंजर भू पर पुष्प खिले तब
ऋतु बहके ले तरुणाई।
पुरवा गाए गीत सुहाने
डमड डमड डमरू बोला।
गौरा जी से ब्याह....
महक उठी हैं दसों दिशाएं
देव सभी हैं हर्षाते।
शिव गौरा की अद्भुत छवि पर
पुष्प हर्ष के बरसाते।
नंदी भृंगी नृत्य करत हैं
घोंट भाँग का फिर गोला।
गौरा जी से ब्याह...
अनुराधा चौहान'सुधी'स्वरचित
चित्र गूगल से साभार