Tuesday, May 31, 2022

शिव शंकर


गौरी समीप बैठे लगते बड़े निराले।
डाले गले विषैले फणिधर भुजंग काले।

काया भभूति लिपटी नंदी पिशाच संगी।
चोला बड़ा अजूबा सिर से जटा निकाले॥

जो शीश पर गिरी तो गंगा लपेट बाँधी।
सागर मथा गया तो पी विष अनेक प्याले॥

मन में शिवा जपो तो साकार शिव खड़े हैं।
डर छोड़कर सभी अब हो शंभु के हवाले॥

कैलाश पर विराजे डमरू त्रिशूल लेकर।
शिव रूप ही सभी भय मन से सदा निकाले॥

विनती महेश से जब कर जोड़ के करोगे।
काटे अनेक बंधन बाबा त्रिनेत्र वाले॥

करते कठोर तप तो खुश हो दयालु भोले।
उनकी दया मिले तो पड़ते न पाँव छाले॥

बैठी सुधी जलाती भोले समीप दीपक।
विपदा शिवा मिटाते मन के बड़े निराले॥

*अनुराधा चौहान'सुधी'✍️*

Saturday, May 28, 2022

पिता की पीर

 

वनवास की अवधी सुनी दृग तात के बहने लगे।

सुर कैकयी कटु बोलती मन घात यह सहने लगे।१


कर जोड़कर विनती करी इस बैर को अब भूल जा।

सुत राम का अपराध क्या यह बोल दो कहने लगे।२


रख राज भी सुख साथ भी वनवास की हठ छोड़ दो।

यह लाल कोमल से बड़े तन गेरुआ पहने चले।३


सुन नार घोर अभागिनी यह पाप क्यों करती हठी।

रख लाज लाल कुटुंब की वनवास को रहने चले।४


तन प्राण भी अब त्यागते हठ छोड़ दो तुम कैकयी।

कुछ टूटता तन छूटता दृग जोर से बहने लगे।५


*अनुराधा चौहान'सुधी'✍️*

रामबाण औषधि(दोहे) -2

  11-आँवला गुणकारी है आँवला,रच मुरब्बा अचार। बीमारी फटके नहीं,करलो इससे प्यार॥ 12-हल्दी पीड़ा हरती यह सभी,रोके बहता रक्त। हल्दी बिन पूजा नही...