भरी हुंकार वीरों ने,हवा भी सहम के चलती।
जरा सा छेड़ कर देखो,प्रलय टाले नहीं टलती।
खड़े दीवार बनके ये,भगाते काल को हँसके।
हमारी मात ये धरती,छवि आँखों सदा पलती।
सुनो चीनी पड़े भारी,बढ़ाई बात है तुमने।
लड़ाई जो छिड़ी फिर से,नहीं देंगे कभी थमने
खड़े हम तानकर सीना,नहीं तुम भूल में रहना।
मिला दे धूल में तुमको,यही सीखा सदा हमने।
पड़े हैं चीन पे भारी,हमारे वीर बलवानी।
मिलाया धूल में उनको,बड़े ये धीर अभिमानी।
सुनो गलती करी तुमने,पड़ेगा अब बड़ा भारी।
हमें कमजोर समझने की,करी जो आज नादानी।
मिटा के खाक में तुमको,तभी हम चैन पाएंगे।
बहा जो खून वीरों का,तुम्हारा भी बहाएंगे।
दगा देना नहीं आता,बढ़ाते हाथ दोस्ती का।
किया जो वार पीछे से,वही बदला चुकाएंगे।
हमारी देश की धरती,कहानी वीर की कहती।
सपूतों से भरा आँगन, लिए माँ भारती रहती।
लगाती ये गले सबको,सिखाती प्यार की भाषा।
बड़ी पावन धरा मेरी, कभी गलती नहीं सहती।
जरा सा छेड़ कर देखो,प्रलय टाले नहीं टलती।
खड़े दीवार बनके ये,भगाते काल को हँसके।
हमारी मात ये धरती,छवि आँखों सदा पलती।
सुनो चीनी पड़े भारी,बढ़ाई बात है तुमने।
लड़ाई जो छिड़ी फिर से,नहीं देंगे कभी थमने
खड़े हम तानकर सीना,नहीं तुम भूल में रहना।
मिला दे धूल में तुमको,यही सीखा सदा हमने।
पड़े हैं चीन पे भारी,हमारे वीर बलवानी।
मिलाया धूल में उनको,बड़े ये धीर अभिमानी।
सुनो गलती करी तुमने,पड़ेगा अब बड़ा भारी।
हमें कमजोर समझने की,करी जो आज नादानी।
मिटा के खाक में तुमको,तभी हम चैन पाएंगे।
बहा जो खून वीरों का,तुम्हारा भी बहाएंगे।
दगा देना नहीं आता,बढ़ाते हाथ दोस्ती का।
किया जो वार पीछे से,वही बदला चुकाएंगे।
हमारी देश की धरती,कहानी वीर की कहती।
सपूतों से भरा आँगन, लिए माँ भारती रहती।
लगाती ये गले सबको,सिखाती प्यार की भाषा।
बड़ी पावन धरा मेरी, कभी गलती नहीं सहती।
***अनुराधा चौहान'सुधी'***
चित्र गूगल से साभार
देश के जवानों की शौर्यगाथा का सुन्दर चित्रण।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीय
Deleteजय हिन्द।
ReplyDeleteअरे वाह बहुत सुंदर ओजपूर्ण सृजन.अनुराधा जी।
ReplyDeleteमुझे आपके इस ब्लॉग की जानकारी नहीं थी।
सादर।
हार्दिक आभार श्वेता जी
Deleteभारतीय सेना के साहस को नमन
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीय
Deleteसुंदर ओजपूर्ण प्रस्तुति!
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीया
Deleteहार्दिक आभार सखी
ReplyDeleteसुनो चीनी पड़े भारी,बढ़ाई बात है तुमने।
ReplyDeleteलड़ाई जो छिड़ी फिर से,नहीं देंगे कभी थमने
खड़े हम तानकर सीना,नहीं तुम भूल में रहना।
मिला दे धूल में तुमको,यही सीखा सदा हमने।
आहा ! वीर रास से ओत प्रोत , हर राष्ट्रप्रेमी के ह्रदय से निकलने वाली ले लिख दी आपने। माँ भर्ती के सपूतों पर माँ भवानी अपनी कृपा बनाये रखे और विजयी करे
ऐसी रचना को सिर्फ नमन किया जा सकता
सादर नमन आपकी रचना को और रचयिता को भी
हार्दिक आभार आदरणीया
Deleteहमारी देश की धरती,कहानी वीर की कहती।
ReplyDeleteसपूतों से भरा आँगन, लिए माँ भारती रहती।
लगाती ये गले सबको,सिखाती प्यार की भाषा।
बड़ी पावन धरा मेरी, कभी गलती नहीं सहती।
बेहद खूबसूरत ,बिल्कुल सही बात है
वाह वाह वाह
धन्यवाद आदरणीया 🌹
Deleteबहुत ही सुंदर सृजन दी .
ReplyDeleteहार्दिक आभार सखी
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