Sunday, April 11, 2021

वनवास की आज्ञा


 
पिता के वचनों को पूरा करने के लिए वनवास जाने से पहले श्री राम भाई लक्ष्मण और सीता जी के साथ महाराज दशरथ से आज्ञा लेते हुए उन्हें धीरज रखने के लिए कहते हैं।

 सुन पितु वचन न होवे झूठा।
पुत्र पिता से कबहुँ न रूठा।
तज व्याकुलता अब धीर धरो।
मत नैनन में अब नीर भरो॥

रघुकुल ने यह रीति निभाई।
प्राण जाय पर वचन न जाई।
फिर वचनों को कैसे तोडूँ ।
पुत्र धर्म से क्या मुख मोडूँ॥

तोडूँ कैसे मैं राजाज्ञा।
वन जाने की दें अब आज्ञा।
वन में चौदह वर्ष बिताऊँ।
वचन निभाकर वापस आऊँ॥

क्यों होते हो व्याकुल ऐसे।
दिन बीतेंगे पलछिन जैसे।
राम सिया की देख विदाई।
माँ कौशल्या भी पथराई॥

उनको ढाँढस आप बँधाना।
अनुज भरत को राज थमाना।
वचन निभाने जाऊँगा वन।
धन्य हुआ यह मेरा जीवन॥

शोक त्याग कर करें विदाई।
संग चले लक्ष्मण सा भाई।
कौन लिखा विधना का टाले।
व्यर्थ व्यथा क्यूँ मन फिर पाले‌॥

अवधपुरी व्याकुल है भारी।
वन जाने की है तैयारी।
और विलंब नहीं अब करना।
बहता है भावों का झरना॥

सुन वचन सुमंत वहाँ आए।
राम लखन को रथ बैठाए।
हाय राम हा भूपति बोले।
तिहूँ लोक सिंहासन डोले॥

सुनो पिता सिर पे रखो,आशीषों का हाथ।
राम सिया के सुन वचन,लक्ष्मण चलते साथ॥

वचन निभाने के लिए,जाते वन श्री राम।
रघुकुल की इस रीति का,करना है सम्मान॥

🙏🏻जय जय राम जय सिया राम🙏🏻
©® अनुराधा चौहान'सुधी'स्वरचित ✍️
चित्र गूगल से साभार

23 comments:

  1. रामायण के पात्रोॆ पर आधारित बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति।

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    1. हार्दिक आभार आदरणीय

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  2. बहुत सुंदर लयबद्ध रचना मुखरित होते भाव ।
    अभिनव।

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  3. रामायण के सबसे मार्मिक दृश्य बहुत ही सुंदर प्रस्तुति करण

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    1. हार्दिक आभार आदरणीया।

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  4. वाह दीदी,बहुत ही भावविभोर कर गईं आपकी ये सुंदर लयबद्ध चौपाइयां ।। लगा राम चरित मनन पढ़ रही हूं, अति सुंदर प्रसंग ।

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    1. हार्दिक आभार जिज्ञासा जी

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  5. हार्दिक आभार आदरणीय

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  6. वाह शानदार रचना रामायण के सारे दृश्य उभर आए

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    1. हार्दिक आभार आदरणीया

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  7. बहुत ही सुंदर रचना 👌👌👌
    इतने कठिन विषय पर इतना शानदार लिखना 👌
    हार्दिक बधाई 💐💐💐

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  8. वाह बहुत ही सुंदर, जय सिया राम जय जय राम , सादर नमन

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    1. हार्दिक आभार आदरणीया

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  9. आपकी प्रतिभा तो अतुलनीय है अनुराधा जी। वैसे तो गुप्त जी ने कहा था – ‘राम तुम्हारा चरित स्वयं ही काव्य है, कोई कवि बन जाए, सहज सम्भाव्य है’। तथापि आपकी इस काव्य-रचना की जितनी भी प्रशंसा की जाए, अपर्याप्त ही होगी।

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    1. हार्दिक आभार आदरणीय

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  10. वाह!!!
    कमाल का सृजन ...बहुत ही हृदयस्पर्शी लयबद्ध एवं लाजवाब।

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  11. अद्भुत त्याग....शानदार रचना।

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    1. हार्दिक आभार आदरणीय।

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