पिता के वचनों को पूरा करने के लिए वनवास जाने से पहले श्री राम भाई लक्ष्मण और सीता जी के साथ महाराज दशरथ से आज्ञा लेते हुए उन्हें धीरज रखने के लिए कहते हैं।
सुन पितु वचन न होवे झूठा।
पुत्र पिता से कबहुँ न रूठा।
तज व्याकुलता अब धीर धरो।
मत नैनन में अब नीर भरो॥
रघुकुल ने यह रीति निभाई।
प्राण जाय पर वचन न जाई।
फिर वचनों को कैसे तोडूँ ।
पुत्र धर्म से क्या मुख मोडूँ॥
तोडूँ कैसे मैं राजाज्ञा।
वन जाने की दें अब आज्ञा।
वन में चौदह वर्ष बिताऊँ।
वचन निभाकर वापस आऊँ॥
क्यों होते हो व्याकुल ऐसे।
दिन बीतेंगे पलछिन जैसे।
राम सिया की देख विदाई।
माँ कौशल्या भी पथराई॥
उनको ढाँढस आप बँधाना।
अनुज भरत को राज थमाना।
वचन निभाने जाऊँगा वन।
धन्य हुआ यह मेरा जीवन॥
शोक त्याग कर करें विदाई।
संग चले लक्ष्मण सा भाई।
कौन लिखा विधना का टाले।
व्यर्थ व्यथा क्यूँ मन फिर पाले॥
अवधपुरी व्याकुल है भारी।
वन जाने की है तैयारी।
और विलंब नहीं अब करना।
बहता है भावों का झरना॥
सुन वचन सुमंत वहाँ आए।
राम लखन को रथ बैठाए।
हाय राम हा भूपति बोले।
तिहूँ लोक सिंहासन डोले॥
सुनो पिता सिर पे रखो,आशीषों का हाथ।
राम सिया के सुन वचन,लक्ष्मण चलते साथ॥
वचन निभाने के लिए,जाते वन श्री राम।
रघुकुल की इस रीति का,करना है सम्मान॥
🙏🏻जय जय राम जय सिया राम🙏🏻
©® अनुराधा चौहान'सुधी'स्वरचित ✍️
चित्र गूगल से साभार
रामायण के पात्रोॆ पर आधारित बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीय
Deleteबहुत सुंदर लयबद्ध रचना मुखरित होते भाव ।
ReplyDeleteअभिनव।
हार्दिक आभार सखी
Deleteरामायण के सबसे मार्मिक दृश्य बहुत ही सुंदर प्रस्तुति करण
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीया।
Deleteवाह दीदी,बहुत ही भावविभोर कर गईं आपकी ये सुंदर लयबद्ध चौपाइयां ।। लगा राम चरित मनन पढ़ रही हूं, अति सुंदर प्रसंग ।
ReplyDeleteहार्दिक आभार जिज्ञासा जी
Deleteहार्दिक आभार आदरणीय
ReplyDeleteवाह शानदार रचना रामायण के सारे दृश्य उभर आए
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीया
Deleteबहुत ही सुंदर रचना 👌👌👌
ReplyDeleteइतने कठिन विषय पर इतना शानदार लिखना 👌
हार्दिक बधाई 💐💐💐
हार्दिक आभार सखी
Deleteवाह बहुत ही सुंदर, जय सिया राम जय जय राम , सादर नमन
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीया
Deleteआपकी प्रतिभा तो अतुलनीय है अनुराधा जी। वैसे तो गुप्त जी ने कहा था – ‘राम तुम्हारा चरित स्वयं ही काव्य है, कोई कवि बन जाए, सहज सम्भाव्य है’। तथापि आपकी इस काव्य-रचना की जितनी भी प्रशंसा की जाए, अपर्याप्त ही होगी।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीय
Deleteवाह!!!
ReplyDeleteकमाल का सृजन ...बहुत ही हृदयस्पर्शी लयबद्ध एवं लाजवाब।
हार्दिक आभार सखी
Deleteआप की पोस्ट बहुत अच्छी है आप अपनी रचना यहाँ भी प्राकाशित कर सकते हैं, व महान रचनाकरो की प्रसिद्ध रचना पढ सकते हैं।
ReplyDeleteजी हार्दिक आभार
Deleteअद्भुत त्याग....शानदार रचना।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीय।
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