Tuesday, July 27, 2021

रावण के प्रश्न

 


क्यों वानर किसके दम तूने,आज उजाड़ी है लंका।

किसके बल पर कूँद-फाँद के,यहाँ बजाता तू डंका।


लगता आज मर्कट की मृत्यु ,खींच यहाँ पर लायी है।

मेरे योद्धा मार गिराए,करनी अब भरपायी है।


अक्ष कुमार गिराए भू पर,कैसा दुस्साहस तेरा।

एक चाल चलके क्या समझे,देश बिगाड़ेगा मेरा।


इंद्र काँपते मेरे भय से,देव सभी मेरी मुट्ठी।

नाग असुर किन्नर देवो को,रोज पिलाता भय घुट्टी।


मुझे बता किसके कहने पर,आज उजाड़ी है लंका।

उसका अंत अभी मैं कर दूँ,मिट जाए सारी शंका।


मेघनाद के पाश बँधा तू,मुझे दिखाता है आँखे।

 अंग भंग इसको कर भेजो,काटो भ्रम की सब पाँखें।


उत्पाद मचाकर वानर तूने, सुंदर वाटिका उजाड़ी,

उजड़ा उपवन ऐसा लगता, है कोई कंटीली झाड़ी।


वानर रूप रखा है तूने, किसके कहने से आया।

किस छलिए ने रूप बदलकर,अपना अंत बुलाया।

*अनुराधा चौहान'सुधी'*

14 comments:

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    1. हार्दिक आभार आदरणीय।

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  2. वाह बढ़िया रचना !!

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  3. वाह अनुराधा जी | सरल , सहज शब्दों में रावण के संवाद को संजोकर बहुत बढिया लिखा आपने | लंका के उजड़ने से आहत रावण के प्रश्नों में बहुत मार्मिकता है | एक लंकापति का मान मर्दन एक वानर ने कर दिया -- यह उसके लिए कम बात तो ना होगी |बहुत- बहुत बधाई सुंदर रचना के लिए |

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    1. आपकी सुंदर समीक्षा के लिए आपका हृदयतल से आभार प्रिय रेणु जी।

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  4. बहुत ही अच्छा दृश्य आपने अपने इस कवित्त से प्रस्तुत कर दिया है अनुराधा जी। लगता है जैसे हम साक्षी हैं इसके। अब प्रश्न हैं तो उत्तर भी होंगे। है ना?

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    1. जी प्रश्न है तो उत्तर भी है।यह रचना विशेष रूप से रामकथा के लिए के लिए लिखी गई है।जिसके हिस्से जो विषय आता है उसी पर सृजन करना पड़ता है। आपने कहा तो उत्तर भी अवश्य लिखूँगी। आपका हार्दिक आभार। सादर

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  5. हार्दिक आभार सखी।

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    1. हार्दिक आभार आदरणीया।

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  7. अत्यधिक सुंदर चित्रण किया है । हार्दिक शुभकामनाएँ ।

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    1. हार्दिक आभार अमृता जी।

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  8. जय श्री राम जय हनुमान

    अति सुशोभित सज्जित ।

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    1. हार्दिक आभार आदरणीय

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