शिल्प विधान ~ गिरिजा छंद
ये *वर्णिक छन्द* है
१९ वर्ण प्रति चरण
चार चरण दो दो सम तुकांत
२,९,१९ वें वर्ण पर यति हो
मगण सगण मगण सगण सगण मगण लघु
२२,२ ११२ २२२, ११२ ११२ २२२ १
सूने है यमुना के तीरे,चुप क्यों मुरली देखो आज।
रोती हैं सखियाँ भी बैठी,चुप पायल के होते साज।
मीठी आज सुना दे बंशी,महके मन में तेरी प्रीत।
आजा रास रचाएं दोनों,बदले जग की सारी रीत।
ढूँढें आज तुझे गोपाला,तज के हमने सारे काज।
आओ श्याम बता दो धीरे,मन में रखते कैसा राज।
सूने बाग बगीचे सारे,चुप हैं अब क्यों मीठे गीत।
मेरे गीत तुम्हारी बंशी,मन में महके तेरी प्रीत।
*अनुराधा चौहान'सुधी'स्वरचित*
चित्र गूगल से साभार
सुन्दर काव्य..
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीय।
Deleteबेहद खूबसूरत रचना मैंम
ReplyDeleteहार्दिक आभार रोशनी जी।
Deleteवाह मनमोहक रचना |
ReplyDeleteहार्दिक आभार अनुपमा जी।
Deleteसुंदर काव्यकृति ।
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