Wednesday, July 7, 2021

रघुनाथ कृपा

चंदन वंदन हे रघुनंदन,
आज करो सबके मन पावन।
मैल मिटे हर दोष हटे फिर,
जीवन हो फिर आज सुहावन।
नीरव बीत रही रजनी अब,
साज बजे बरसे रस सावन।
आज कृपा फिर से करदो प्रभु,
दीप जले सबके घर भावन।
द्वार सजे अब तोरण रंगत,
लोग हँसें दुख भूल सभी जग।
आँगन हो शुभकाम सदा फिर,
बाँध चलें गठरी सुख के नग।
दीन दुखी दुख भूल हँसे तब,
देख विवाद नहीं मचले डग।
राघव हाथ रखो सबके सिर,
लालच देख नहीं भटके पग।

किरीट सवैया नामक छंद आठ भगणों से बनता है। तुलसी, केशव, देव और दास ने इस छन्द का प्रयोग किया है। इसमें 12, 12 वर्णों पर यति होती है।
211 211 211 211, 211 211 211 211
*अनुराधा चौहान'सुधी'*
चित्र गूगल से साभार

12 comments:


  1. सादर नमस्कार,
    आपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार (09-07-2021) को "सावन की है छटा निराली" (चर्चा अंक- 4120) पर होगी। चर्चा में आप सादर आमंत्रित हैं।
    धन्यवाद सहित।

    "मीना भारद्वाज"

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  2. वाह ! आनंद आ गया अनुराधा जी, बहुत सुंदर भावों भरी अभिव्यक्ति।

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    1. हार्दिक आभार आदरणीया

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  3. अत्यन्त सुन्दर भाव, रामजी की जय हो।

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    1. हार्दिक आभार आदरणीय

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  4. बहुत सुंदर भावों भरी अभिव्यक्ति सखी,सादर नमन

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  5. जा पर कृपा श्री राम जी की होई,
    ता पर कृपा करे सब कोई !

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    1. हार्दिक आभार आदरणीय

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  6. सुन्दर मनभावन रचना

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    1. हार्दिक आभार आदरणीया

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