१
चंदन वंदन हे रघुनंदन,
आज करो सबके मन पावन।
मैल मिटे हर दोष हटे फिर,
जीवन हो फिर आज सुहावन।
नीरव बीत रही रजनी अब,
साज बजे बरसे रस सावन।
आज कृपा फिर से करदो प्रभु,
दीप जले सबके घर भावन।
२
द्वार सजे अब तोरण रंगत,
लोग हँसें दुख भूल सभी जग।
आँगन हो शुभकाम सदा फिर,
बाँध चलें गठरी सुख के नग।
दीन दुखी दुख भूल हँसे तब,
देख विवाद नहीं मचले डग।
राघव हाथ रखो सबके सिर,
लालच देख नहीं भटके पग।
किरीट सवैया नामक छंद आठ भगणों से बनता है। तुलसी, केशव, देव और दास ने इस छन्द का प्रयोग किया है। इसमें 12, 12 वर्णों पर यति होती है।
211 211 211 211, 211 211 211 211
*अनुराधा चौहान'सुधी'*
चित्र गूगल से साभार
ReplyDeleteसादर नमस्कार,
आपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार (09-07-2021) को "सावन की है छटा निराली" (चर्चा अंक- 4120) पर होगी। चर्चा में आप सादर आमंत्रित हैं।
धन्यवाद सहित।
"मीना भारद्वाज"
हार्दिक आभार सखी।
Deleteवाह ! आनंद आ गया अनुराधा जी, बहुत सुंदर भावों भरी अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीया
Deleteअत्यन्त सुन्दर भाव, रामजी की जय हो।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीय
Deleteबहुत सुंदर भावों भरी अभिव्यक्ति सखी,सादर नमन
ReplyDeleteहार्दिक आभार सखी।
Deleteजा पर कृपा श्री राम जी की होई,
ReplyDeleteता पर कृपा करे सब कोई !
हार्दिक आभार आदरणीय
Deleteसुन्दर मनभावन रचना
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीया
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