Monday, August 10, 2020

लीलाधर की लीला

काली अँधियारी निशा,खुलते कारागार।
गोदी में वसुदेव की,किलके तारणहार।

प्रभु की इच्छा से चले,करने यमुना पार
स्वागत में प्रभु की खुले,नंद भवन के द्वार।

हाथी घोड़ा पालकी,सजते वंदन वार।
नंद यशोदा के यहाँ,प्रगटे कृष्ण मुरार।

लीलाधर लीला करें,नाचे गोकुल गाँव।
यशुमति की गोदी हँसें,बैठ कदम की छाँव।

भोली सूरत साँवली,चंचल माखनचोर।
माखन की चोरी करे, नटखट नंद किशोर।

पद पंकज पर बैठ के,यमुना करे विहार।
छवि सुंदर घनश्याम की,गोपी रहीं निहार।

मैया का है लाडला,नटखट नंद कुमार।
नीलवर्ण छवि मोहिनी,बाल रूप सुकुमार।

राधा मोहन गोपियाँ,महा रास की रात।
सकल सृष्टि भी झूमती,तरु फूल संग पात।

कालिंदी के घाट पर,खेले नंदकिशोर।
छुप-छुप देखें गोपियों,मोहक माखन चोर॥

मोहक मुरली मोहती,मोहे माधव रूप।
मनमोहन घन श्याम के, मनमोहक स्वरूप॥
***अनुराधा चौहान'सुधी'***

11 comments:

  1. बहुत सुंदर सृजन , हमारे कान्हा की लीला बड़ी न्यारी है, बधाई, जय श्री कृष्ण

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    1. हार्दिक आभार आदरणीय

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  2. हार्दिक आभार आदरणीय

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  3. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर बेहतरीन रचना। इन पंक्तियों ने विशेष रूप से प्रभावित किया --
    "काली अँधियारी निशा,खुलते कारागार।
    वासुदेव की गोद में,किलके तारणहार।"
    सराहनीय प्रस्तुति के लिए आभार । श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं ।

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  4. धन्यवाद आदरणीय

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  5. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं दीदी,बहुत सुंदर दोहावली👏🏼👏🏼👏🏼👏🏼

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    1. धन्यवाद पूजा।आपको भी हार्दिक शुभकामनाएं 💐💐

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  6. दोहे में श्यामसुंदर की सुंदर कथा।
    भक्तिमय सरस।

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  7. Replies
    1. हार्दिक आभार आदरणीया।

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