Thursday, August 20, 2020

राजा मानसिंह तोमर

मुख सांक नदी का मोड़ दिया
मन प्रेम बसा मृगनयनी का।
गूजर रानी का मानमहल
सम्मान बना फिर रानी का।

ये राजा थे तोमर कुल के
दुश्मन से डटकर युद्ध किया
जब शीश झुकाया दुश्मन का 
संदेश जगत को वीर दिया।
ललित कला हो या रणकौशल
शीश झुकाते अभिमानी का।
मुख सांक...

संगीत ध्रुपद जब जन्म दिया
उनकी महिमा सबने मानी।
रस राग रागिनी झूम उठे
यह प्रीत सभी ने पहचानी।
रहे स्वर्ण युग के वो अधिपति
इतिहास गवाह कहानी का।
मुख सांक...

वह शस्त्र विद्या के निपुण बड़े
लोधी भी दूर हटा डरके 
अभिमान न उनको छू पाया
खुश हुए दीन का दुख हरके।
राजा मानसिंह वीर बड़े
करलो नमन महादानी का।
मुख साँक....
***अनुराधा चौहान'सुधी'***
चित्र गूगल से साभार
ग्वालियर के राजा मानसिंह तोमर की जन्मजयंती पर लिखी रचना

9 comments:

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शनिवार (२२-०८-२०२०) को 'जयति-जय माँ,भारती' (चर्चा अंक-३८०१) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    --
    अनीता सैनी

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  2. इतिहास ऐसे सूरवीरों की गाथा का नाम है
    बहुत सुन्दर

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  3. हमारी गौरव गाथा का सुंदर आख्यान है आपकी यह कविता

    साधुवाद 🌹

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  4. Bahut hi Sundar Vigyan aapki is Kavita ke Madhyam se ...... Naman karta hun Raja Sahab ko

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