मुख सांक नदी का मोड़ दिया
मन प्रेम बसा मृगनयनी का।
गूजर रानी का मानमहल
सम्मान बना फिर रानी का।
ये राजा थे तोमर कुल के
दुश्मन से डटकर युद्ध किया
जब शीश झुकाया दुश्मन का
संदेश जगत को वीर दिया।
ललित कला हो या रणकौशल
शीश झुकाते अभिमानी का।
मुख सांक...
संगीत ध्रुपद जब जन्म दिया
उनकी महिमा सबने मानी।
रस राग रागिनी झूम उठे
यह प्रीत सभी ने पहचानी।
रहे स्वर्ण युग के वो अधिपति
इतिहास गवाह कहानी का।
मुख सांक...
वह शस्त्र विद्या के निपुण बड़े
लोधी भी दूर हटा डरके
अभिमान न उनको छू पाया
खुश हुए दीन का दुख हरके।
राजा मानसिंह वीर बड़े
करलो नमन महादानी का।
मुख साँक....
***अनुराधा चौहान'सुधी'***
चित्र गूगल से साभार
चित्र गूगल से साभार
ग्वालियर के राजा मानसिंह तोमर की जन्मजयंती पर लिखी रचना
जी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शनिवार (२२-०८-२०२०) को 'जयति-जय माँ,भारती' (चर्चा अंक-३८०१) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है
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अनीता सैनी
हार्दिक आभार सखी
Deleteइतिहास ऐसे सूरवीरों की गाथा का नाम है
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
धन्यवाद आदरणीया
Deleteहमारी गौरव गाथा का सुंदर आख्यान है आपकी यह कविता
ReplyDeleteसाधुवाद 🌹
Bahut hi Sundar Vigyan aapki is Kavita ke Madhyam se ...... Naman karta hun Raja Sahab ko
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय
Deleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय
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