हे लक्ष्मण रुको वो देखो अम्बर में हवन-कुण्ड से उठती हुई यह धूम्र-रेखाएँ, लगता है मुनि भरद्वाज के आश्रम यहीं पास ही है।
हाँ राम भैया हवन की सुगन्ध भी सम्पूर्ण वायु-मण्डल में फैल रही है।
हवन कुण्ड से उठ रही, धूम्र ध्वजा आकास।
सुंदर उपवन से लगे,मुनि आश्रम है पास।।
संगम तट पावन बड़ा,कल कल होता नाद।
सुंदर आश्रम देख के,मिटते सब अवसाद।।
राम लखन सीता सहित,प्रभु आए मुनि धाम।
संदेशा दे शिष्य को,राह देखते राम।।
आश्रम सुंदर देख सिहाए,
मुनि दर्शन से मन हर्षाए।
मुनिवर वेदों के अति ज्ञानी,
सुन संदेश करी अगवानी।।
मुनि भरद्वाज
निरपराध तुम वन को आए,
सोच व्यथा यह मन घबराए।
सफल मनोरथ होंगे सारे,
बसो यहाँ प्रभु बिना विचारे।।
संगम तट यह सुंदर पावन,
कल कल करता नाद सुहावन।
निश्चित हो वनवास बिताओ,
सब सुविधा आश्रम में पाओ।।
श्री राम
मुनि आशीष मुझे था पाना,
इस कारण हुआ यहाँ आना।
हे मुनिवर स्वीकारो वंदन,
तिलक करें रघुवर ले चंदन।।
चौदह वर्ष करूँ तप भारी,
जगह बता दो मुनिवर न्यारी।
वन में कुटिया एक बनाऊँ,
मात-पिता के वचन निभाऊँ।।
मुनि भरद्वाज
मंदाकिनी नदी अति पावन,
हरियाली सुंदर मनभावन,
ऋषि मुनि वहाँ तपस्या करते,
दानव दल से रहते डरते।
कुटिया सुंदर एक बनाओ,
वनवासी का समय बिताओ,
दंडक वन की रक्षा करना,
असुरों का होगा अब मरना।
गुरुवर का आशीष ले, आगे बढ़ते राम।
चित्रकूट के घाट पर,कीन्हा प्रभु विश्राम।।
🙏जय जय राम जय सिया राम 🙏
अनुराधा चौहान'सुधी' स्वरचित
चित्र गूगल से साभार
बहुत सुंदर शब्दों में संवाद लिखा है । सूबेदार अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीया
Deleteबहुत सुंदर संवादों से सज्जित सुंदर काव्य, जैसे सचमुच वह दृश्य देखकर ये रचना रची गयी। उत्कृष्ट सृजन। अनुराधा जी मैंने भी भगवान राम से जुड़े कई प्रसंगों को छंद और कवित्त के रूप में लिखा है,आपसे प्रेरणा लेकर ब्लॉग पर डालूँगी।
ReplyDeleteजी अवश्य डालिए ताकि हम भी उन प्रसंगों को पढ़कर रामरस का पान कर सकें 🙏 हार्दिक आभार जिज्ञासा जी।
Deleteक्या टिप्पणी करूं अनुराधा जी? बस बार-बार पढ़ना है और आनंदित होना है।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीय
Deleteबहुत सुंदर प्रसंग ,ठाती उत्तम प्रस्तुति सखी👌👌
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