Wednesday, April 28, 2021

वीर बजरंगी


 मानव को बचाने,

आज आओ हनुमत वीर।

रक्षा प्राण दाता,

छूटती जाए अब धीर।



जगती फिर पुकारे,

मौत का यह कैसा शोर।

दुख के मेघ छाए,

कालिमा घेरे घनघोर।

दे आके दिलासा

बह रहा नयनों से नीर।

मानव को बचाने......



हो फिर से उजाला,

दूर हो भय का आभास।

आए भोर सुख की,

यह सुधी करती अरदास।

देखो बढ रही है,

आज जीवन की फिर पीर।

मानव को बचाने......



करते वंदना हम,

बीत जाए काली रात।

दुख भंजन हरो तम,

रोक आँसू की बरसात।

बनके ढाल आओ,

चुभ रहे तन पर ये तीर।

मानव को बचाने......



सूनी देख गलियाँ,

झाँकती आँखें फिर मौन।

जगती पूछती फिर,

आज संकट लाया कौन।

अपने हाथ बाँधी,

आज तुमने यह जंजीर।

मानव को बचाने......



अब तक बिन विचारे, 

जो किए मानव ने कृत्य।

उसका ही नतीजा,

आज होता तांडव नृत्य।

भीषण रोग फैला,

हाल मानव का गंभीर।

मानव को बचाने......



बजरंगी बचा लो,

रोग की पड़ती है मार।

फंसी फाँस कैसी,

चीखता सारा संसार।

लालच ने डुबोया,

सोचता भवसागर तीर।

मानव को बचाने......

©©अनुराधा चौहान'सुधी'*
चित्र गूगल से साभार


 

10 comments:

  1. वाह!अद्भुत सुंदर सृजन✍️✍️👏👏💐💐🙏🙏

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    1. हार्दिक आभार दीपिका 🌹

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  2. वाहह अनुपम सृजन 👏👏👏जय हनुमंता

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    1. हार्दिक आभार पूजा 🌹

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  3. जय बजरंगबली ।
    मन की आस्था को बनाये रखना ।

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  4. बहुत सुंदर सृजन

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  5. बहुत सुंदर और प्रेरक प्रार्थना गीत, जय बजरंग बली सबकी रक्षा करिए 🙏🙏

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    1. हार्दिक आभार जिज्ञासा जी

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