Wednesday, June 2, 2021

जटायु रावण युद्ध


 *सीता की पुकार*

कहाँ हो राम आ जाओ,पड़ी विपदा बड़ी भारी।
दुराचारी किया है छल,दशानन है कपट धारी।
हरण मेरा किया उसने,पुकारे रो रही सीता।
बचालो लाज रघुकुल की,कहे यह बात दुखियारी।

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पञ्चचामर छंद
*जटायु*
सुनी पुकार जानकी जटायु देखने लगे।
उड़े विराट आसमान नींद से तभी जगे।

डरो नहीं सुता विराट पंख खोल के उड़े।
विचार त्याग यातुधान दंड भोगना पड़े।

रुको विमान रोक लो सुता यहीं उतार दो।
करूँ प्रहार चोंच का सुनी नहीं पुकार जो।

उड़ान वेग से भरी डरे बिना कटार से 
लगा विमान डोलने जटायु के प्रहार से।

उछाल मार चोंच से किया प्रहार जोर से।
डरा हुआ लगे कभी विशाल पंख शोर से।

*सीता*
जटायु राज याचना पुकारती सिया करे।
धरे असंख्य वेष ये कठोर दोष भी भरे।
 
छली करे ढकोसला विकार नीच में भरे।
जटायु को समीप देख नीर नैन से झरे।

कुलीन भेष धार द्वार याचना करे खड़ा।
खड़ी कुटीर द्वार क्यों कठोर बात पे अड़ा।

हटी नहीं समीप रेख दान थाल हाथ में।
नहीं लिया हठी अड़ा प्रपंच थाम साथ में।

ढकोसले किए कहे घमंड त्याग पाप का।
बिना विचार भोगते सभी विकार श्राप का।

*जटायु*
उखाड़ फेंकता नहीं दिमाग दोष रोपता।
अबोध जानता नहीं सदा रहे कचोटता।

झुका समीप शीश को कठोर दंड भोगता। 
भुला सभी प्रपंच शूल क्यों विशाल रोपता।

सहे प्रहार शूल सा कठोर चोंच मार के।
अनेक वार पंख पे कटार तेज धार के।

कटार पाँख पे पड़ी जटायु चीख के गिरे।
सुनो पुकार नाथ हे विलाप जोर से करे।

अनुराधा चौहान'सुधी'
चित्र गूगल से साभार

8 comments:

  1. बहुत ही शानदार सृजन सधा शिल्प मुखरित भाव , संवाद के रूप में भावपूर्ण सृजन।
    बहुत बहुत बधाई सखी।

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  2. अनुपम हृदयस्पर्शी उत्कृष्ट रचना..नमन लेखनशैली को🙇🙇💐💐👏👏🙏🙏

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    1. हार्दिक आभार दीपिका 🌹

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  3. ओजपूर्ण-प्रवाहपूर्ण शैली में बहुत सजीव-जीवंत चित्रण !

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    1. हार्दिक आभार आदरणीय 🙏

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  4. शानदार काव्य शैली में जटायु प्रसंग का सजीव वर्णन,आपको मेरी हार्दिक शुभकामनाएं अनुराधा जी ।

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    1. हार्दिक आभार जिज्ञासा जी

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