शिव शंभू के घोर उपासक
हाथ लिए फरसा उपहार।
अत्याचारी वंश मिटाने
गिन-गिनकर करते संहार।
त्रेता युग में जन्म लिया था
श्री हरि के छठवे अवतार।
धरती से आतंक मिटाकर
दूर किया हर अत्याचार।
राम धनुष जो तोड़ दिए थे
करते आकर घोर विरोध।
सूरज सा मुखमंडल चमके
काँपें धरती उनके क्रोध।
लक्ष्मण की कटु बातें सुनकर
ज्वाला बन करते जब वार।
एक इशारे पर प्रभु के फिर
फरसे का लें रोक प्रहार।
एक झलक रघुवर दिखलाए
दूर हुआ तब मन से भार।
राम सिया को शीश झुकाते
करना प्रभु मेरा उद्धार।
नारायण छवि देख के,खुश हुए परशुराम।
बार-बार कर जोड़ते,क्षमा करो श्री राम॥
*अनुराधा चौहान'सुधी'✍️*
चित्र गूगल से साभार
वाह ! परशुराम जी के बारे में सटीक चित्रण ।
ReplyDeleteपरशुराम-लीला का सुन्दर, सरस और सजीव वर्णन !
ReplyDeleteएक युग का अंत और दूसरे युग का प्रारंभ !
श्री राम के सामने श्री परशुराम के फरसे को तो बेबस होना ही था.
हार्दिक आभार आदरणीय।
Deleteबहुत सुंदर सखी पुरी कथासार छोटे में समेट लिया।
ReplyDeleteअक्षय तृतीया की हार्दिक शुभकामनाएं।
हार्दिक आभार सखी।
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