अरसात सवैया 24 वर्णों का छन्द 7 भगणों और रगण के योग से बनता है। देव और दास ने इस छन्द का प्रयोग किया है।
211 211 211 211, 211 211 211 212
*1.. तारणहार*
घेर रही विपदा जब मानव,नाथ दयालु खड़े तब साथ है।
काट रहे सब बंधन संकट,दीन दुखी झुकते सिर माथ है॥
कंठ हलाहल पीकर शंकर,तारणहार बने जग नाथ है।
झूम उठे फिर लोक सभी तब,शीश सदाशिव का फिर हाथ है॥
*2..शिव शंकर*
हे शिव शंकर देव महाशिव,हे शुभकारक मंगल कीजिए।
शंकर से भयभीत सभी दुख,संकट दूर हटे वर दीजिए॥
सावन पावन मास सुहावन,वंदन ये करती सुन लीजिए।
रोग बढ़ा अब जीवन ऊपर,आकर ये विष शंकर पीजिए॥
*१-जीवन*
जीवन सुंदर सागर सा मन,रंगत संगत मानव हो भली।
घोर निशा अरु संकट से फिर भाग नहीं डर निंदक की गली।
पावन संगत में बदले जग,सौरभ चंदन सी तन मे मली।
कुंठित सा मन वंचित हो सुख,सोच बुरी हर पाँव तले डली।
*२-मन*
साधक सा मन कोमल पावन,दीप जले सच के चँहु ओर ही।
सूचक व्यापक हो मनमोहक,देख खिले सुख लेकर भोर ही।
आस भरी बदली बरसे घिर,नाच करें मन के तब मोर ही।
भाग रहा सच से जब भी मन,अंतस बँधन का सुन शोर ही।
अनुराधा चौहान'सुधी'
चित्र गूगल से साभार
बहुत सुंदर शिल्प के साथ पावन भक्ति भाव से ओतप्रोत सवैये
ReplyDeleteसखी।
हार्दिक आभार सखी ।
Deleteआनंदमय हो गया मन,सुंदर सवैया छंद।
ReplyDeleteजी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (३०-0६-२०२१) को
'जी करता है किसी से मिल करके देखें'(चर्चा अंक- ४१११) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
हार्दिक आभार सखी।
Deleteवाह लाजबाव सृजन
ReplyDeleteबहुत सुंदर छंदबद्ध अभिव्यक्ति 🙏
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीया
Deleteअद्भुत कौशल है । सुंदर सृजन
ReplyDeleteहृदयतल से आभार आदरणीया।
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