*१--उपहार*
निहार रही मुख आनन में,
छवि राम बसी सिय के मन में।
सखी हँस संग किलोल करें,
मुस्कान लिए घर आँगन में।
अपार खुशी फिर नीर बनी,
नयना छलके लग सावन में,
समीर सुगंध बिखेर चली,
उपहार बने रघु जीवन में।
*२--रघुवीर*
प्रहार करे रिपु काँप उठे,
रघुवीर धरा पर आन खड़े।
निहाल सभी फिर देव हुए,
तलवार चलीं अरि भूमि पड़े।
सचेत सदैव बढ़े तनके,
रणवीर बने रण में लड़े।
नहीं पग रोक सके इनका,
पथ ढाल बने यह आन अड़े।
शिल्प विधान
मानिनी सवैया 23 वर्णों का छन्द है। 7 जगणों और लघु गुरु के योग से यह छन्द बनता है।११,१२ वें वर्णों पर यति अनिवार्य है।
121 121 121 12, 1 121 121 121 12
*अनुराधा चौहान'सुधी'✍️*
चित्र गूगल से साभार
हर रचना चमत्कृत कर देती है । सुंदर ।
ReplyDeleteआत्मीय आभार आदरणीया।
Deleteआपकी लिखी रचना सोमवार 5 जुलाई 2021 को साझा की गई है ,
ReplyDeleteपांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
संगीता स्वरूप
हार्दिक आभार आदरणीया।
Deleteअति सुंदर छंद।
ReplyDeleteसाहित्यिक लुप्तप्रायः विधाओं के प्रति आपका समर्पण और.प्रयास सराहनीय है।
सस्नेह
सादर।
हार्दिक आभार श्वेता जी
Deleteबहुत सुन्दर छन्द बद्ध रचना!साधुवाद!
ReplyDeleteश्रेष्ठ रचना.. बताइए कृपया ये कौन सा छंद है
ReplyDeleteबन बाग उपबन बाटिका सर कूप बापीं सोहहीं।
नर नाग सुर गंधर्ब कन्या रूप मुनि मन मोहहीं॥
कहुँ माल देह बिसाल सैल समान अतिबल गर्जहीं।
नाना अखारेन्ह भिरहिं बहुबिधि एक एकन्ह तर्जहीं
सादर...
हार्दिक आभार आदरणीया।
Deleteयह हरिगीतिका छंद है।
2212 2212 2212 2212
वाह!सखी ,अद्भुत !
ReplyDeleteहार्दिक आभार सखी
Deleteसुंदर और अद्भुत रचना
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीय
Deleteबहुत सुंदर छंद बद्ध रचना।
ReplyDeleteबधाई
हार्दिक आभार आदरणीया
Deleteगहन सृजन।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीय
Deleteबहुत सुंदर प्रिय अनुराधा जी। श्रृंगार और वीर रस और वो भी छंद विधान में बंधा। इस दिशा में आपकी साधना बहुत सराहनीय और प्रेरक है। हार्दिक शुभकामनाएं आपको।
ReplyDeleteहार्दिक आभार सखी।
Deleteबहुत सुन्दर भाव सृजित किये अनुराधा जी । छन्द का शिल्प विधान पोस्ट कर आपने सीखने का मार्ग प्रशस्त किया है ।
ReplyDeleteहार्दिक आभार सखी।
Deleteसुमुखि सवैया की जानकारी के साथ बहुत ही मनभावन लाजवाब सृजन।
Deleteवाह!!!
बहुत खूब👏👏👏
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीया
Deleteआदरणीया मैम, अत्यंत सुंदर रचना । आपके दोनों छंदों को पढ़ कर लगा जैसे माँ जानकी और प्रभु राम के साक्षात दर्शन कर रही हूँ । इतने दिनों बाद इतनी प्यारी सीता -स्तुति पढ़ कर मन आनंदित है । सखियों के साथ खेलती माँ जानकी और असुरों के साथ यद्ध करते प्रभु राम, दोनों ही छवि बहुत सुंदर । इस भावपूर्ण रचना के लिए हार्दिक आभार व आपको प्रणाम ।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीय
Deleteसुंदर रचना का सृजन, विलम्ब से आने के लिए क्षमा करें अनुराधा जी।
ReplyDeleteआपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया के लिए आपका हार्दिक आभार जिज्ञासा जी।
Deleteहार्दिक आभार अनंता जी।
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