माँ जैसा कोई नहीं,माँ की छमता जान।
देना उसे न दुख कभी, उसकी ममता मान।
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माता सुख की छाँव सी,लेती दुख को ओढ़।
माँ जैसा कोई नहीं,समझो न उसे कोढ़।
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आँखों में आँसू दिए,दिल पर करते वार।
माँ जैसा कोई नहीं,हँसकर सहती हार।।
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बेटा चाहें हो बुरा,करती सुख की चाह।
माँ जैसा कोई नहीं,कभी न रखती डाह।।
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माता ममता दे सदा,माता को पहचान।
माँ जैसा कोई नहीं,माँ की ममता मान।।
***अनुराधा चौहान***
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