पुरवइया चल हौले-हौले
चूनर मेरी लहराए।
लिखती हूँ संदेश श्याम को
कहीं पाती न उड़ जाए।
देख अधीर हुआ मन मेरा
घिरती घनघोर घटाएं।
झूम झूम तरुवर की डालें
कोई संदेश सुनाएं।
बरस रही यादों की बदली
मन मेरा अब घबराए।
पुरवइया..
व्याकुलता बढ़ रही जिया की
भाव हृदय कुछ बोल रहे।
धीरे-धीरे हौले-हौले
मन दरवाजे खोल रहे।
कैसी यह मन की अकुलाहट
कोई भी समझ न पाए
पुरवइया..
मुरलीधर के बिन लगती हैं
गोकुल की गलियाँ सूनी।
राधा की मुस्कान खो गई
अब व्याकुल बढ़ती दूनी।
तुम बिन कान्हा सूना गोकुल
कैसे अब रास रचाए।
पुरवइया..
***अनुराधा चौहान'सुधी'***
चित्र गूगल से साभार
बहुत सुन्दर लयबद्ध गीत।
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय
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ReplyDeleteमुरलीधर के बिन लगती हैं
सूनी गोकुल की गलियाँ।
राधा की मुस्कान खो गई
व्याकुल होती हैं सखियाँ।
तुम बिन कान्हा सूना गोकुल
कौन कहाँ रास रचाए।
पुरवइया चल हौले-हौले
चुनरी मेरी लहराए।
बहुत ही सुंदर रचना ,जय श्री कृष्ण राधे नमन
धन्यवाद आदरणीया
Deleteमुरलीधर के बिन लगती हैं
ReplyDeleteसूनी गोकुल की गलियाँ।
राधा की मुस्कान खो गई
वाह कितनी प्यारी कविता
लिखती हूँ संदेश श्याम को
ReplyDeleteकहीं पाती उड़ न जाए।
आहा ! ये सन्देश तो मेरे आराधय की और जाए रहा है। ..सादर प्रणाम को सन्देश को
बहुत प्यारी रचना
श्याम राण में रंगी और हो गयी सतरंगी
कोविड -१९ के इस समय में अपने और अपने परिवार जनो का ख्याल रखें। .स्वस्थ रहे। .
हार्दिक आभार आदरणीया
Deleteबहुत सुंदर गीत सखी
ReplyDeleteहार्दिक आभार सखी
Deleteबहुत सुंदर सृजन सखी।
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