Thursday, March 11, 2021
भोले बाबा की बारात
Monday, March 8, 2021
सत्य पहचानो
खुशियाँ भरती है घर साजन॥
पत्नी बेटी जननी बहना।
ईश्वर का अनुपम यह गहना॥
सहनशीलता की यह मूरत।
बड़ी सुकोमल इसकी सूरत॥
न्योछावर करती सुख सारा।
तप के इसके यह जग हारा॥
मन में रहती है आस यही।
आए हिस्से कुछ प्यार सही॥
जीवन अपना अर्पण करती।
खुशियाँ से घर आँगन भरती॥
संकट बच्चों पर जब आता।
बन जाती यह काली माता॥
शक्ति रूप लिए बनती ढाल।
ठहर सके फिर कोई न काल॥
बनके रहती शीतल छाया।
दुष्टों पर ज्वाला सी माया॥
नारी तुम कमजोर नहीं हो।
काली दुर्गा रूप रही हो॥
बंद करो अब छुप छुप रोना।
सुंदर सपनों का मत खोना॥
अपनी क्षमता फिर पहचानो।
कोमल नहीं शक्ति हो मानो॥
जीना सीखो सबला बनकर।
अधिकार मिले जग से बढ़कर॥
जीवन रण है यह सच मानो।
सत्य जगत का अब पहचानो॥
©® अनुराधा चौहान स्वरचित ✍️
चित्र गूगल से साभार
Tuesday, March 2, 2021
दशरथ विश्वामित्र संवाद
नहीं सत्य का कोई अनुरागी
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