१-असगंध
सेवन से असगंध के,करो बुढ़ापा दूर।
क्षमता घटती रोग की, प्रतिरोधक भरपूर॥
२-मुलहठी
छाले मुख के दूर कर,हरती है यह पीर।
रोग मुलहठी से डरे,ठंडी है तासीर॥
३-ब्राह्मी
केशों का वरदान बन,ब्राह्मी आई पास।
रक्त वाहिनी साफ कर, सबको आती रास॥
४-अशोक
नारी की हर पीर को,हरे वृक्ष अशोक।
मासिक पीड़ा भी मिटे, रखे झुर्रियाँ रोक॥
५-नीम
गुणकारी इस नीम से,रखो सदा ही नेह।
कील मुहाँसे भी मिटे,दूर करे मधुमेह॥
६-सहजन
फूल बीज पत्ते सहित,रहे गुणों से चूर।
कैंसर गठिया रोकने, सहजन गुण भरपूर।
७-तुलसी
"तुलसी की महिमा बढ़ी,घटे रोग दिन रात।
सर्दी खाँसी वात पर,करती जमकर घात॥
८-भृंगराज
केशों का झड़ना रुके,भृंगराज हो तेल।
गुर्दे भी मजबूत हो, कर लो इससे मेल॥
९-गिलोए
रोग गिलोए से डरें,गुण इसके अनमोल।
कड़वी जड़ी निचोड़कर,अमृत सभी लो तोल॥
१०-शतावरी
जीव पले जब गर्भ में,ले थोड़ा सा अंश।
है वरदान शतावरी,बढ़ता इससे वंश॥
*अनुराधा चौहान'सुधी'स्वरचित ✍️*
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (30-04-2023) को "आम हो गये खास" (चर्चा अंक 4660) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
हार्दिक आभार आदरणीय।
Deleteबहुत सुन्दर संग्रहणीय सृजन सखी !
ReplyDeleteहार्दिक आभार सखी
Deleteबहुत बढ़िया, हर एक जनमानस के हित में।
ReplyDeleteहार्दिक आभार रूपा जी।
Deleteवाह!!!
ReplyDeleteबहुत ही लाजवाब दोहे
वाकई महत्वपूर्ण एवं संग्रहणीय ।
हार्दिक आभार सखी।
Deleteसार्थक सारगर्भित दोहे सखी , सुंदर उपयोगी।
ReplyDeleteहार्दिक आभार सखी।
Deleteअनुराधा जी राम राम , बेहद उपयोगी रचना प्रस्तुत की आपने
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीया
Deleteआदरणीया बहुत ही उपयोगी और गुणकारी जानकारी सुंदर दोहे में
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीया
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