Sunday, November 10, 2019
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नहीं सत्य का कोई अनुरागी
हरी दरस का मन अनुरागी। फिरता मंदिर बन वैरागी॥ हरी नाम की माला फेरे। हर लो अवगुण प्रभु तुम मेरे॥ देख झूठ की बढ़ती माया। चाहे मन बस तेरी छाया॥...
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चल हट जा ना झूठे सुन तेरी बातें हम तुझसे ही रूठे यह झूठ बहाना है कर प्यारी बातें अब घर भी जाना है क्या बोलूँ मैं छलिए ...
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1-अग्नि अग्नि जलाए पेट की,करे मनुज तब कर्म। अंत भस्म हो अग्नि में,मिट जाता तन चर्म॥ 2-जल बिन जल के जीवन नहीं,नर तड़पे यूँ मीन। जल उपयोगी मान...
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पिता के वचनों को पूरा करने के लिए वनवास जाने से पहले श्री राम भाई लक्ष्मण और सीता जी के साथ महाराज दशरथ से आज्ञा लेते हुए उन्हें धीरज रखने...

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