हे विद्या,बुद्धि दायनी
कृपा का शीश हाथ हो
माँ निर्मला मृदुभाषिणी
वेद की तुम स्वामिनी
हे पंकजा मनभावनी
तुम हंस की हो वाहिनी
हे वागेश्वरी मृगलोचनी
माँ तार वीणा छेड़ दो
हे विद्या,बुद्धि दायनी
कृपा का शीश हाथ हो
हे रागेश्वरी सिद्धेश्वरी
माँ ऐसा तू वरदान दे
गीत छंद तुमसे बने
मन के हर बंधन हटे
ज्ञान का प्रकाश भर दो
माँ वीणा वर दायनी
बसंत की आभा अलौकिक
बाँसुरी की तान हो
हे कमलासना शुभ शोभिता
हस्त पुस्तक धारिणी
हे सौम्यरूप,चिरयोगिनी
करुणामयी माँ शारदा
स्वीकार कर माँ वंदना
सकल सृष्टि एक हो
कृपा का शीश हाथ हो
***अनुराधा चौहान*** ✍️
चित्र गूगल से साभार
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