लता लता को खाना चाहे
कहीं कली को निगले
शिक्षा के उत्तम स्वर फूटे
जो रागों को निगले
अविरल धारा बहे सदा ही
साथ ज्ञान को लेकर
भावों के सुंदर बहते हैं
झरने अनुभव देकर
मीठी वाणी रखो सदा ही
कोई जहर न उगले
शिक्षा के उत्तम स्वर फूटे
जो रागों को निगले
लता लता को खाना चाहे
कहीं कली को निगले
शिक्षा के उत्तम स्वर फूटे
जो रागों को निगले
पतझड़ में शाखों पे खिलती
नव पल्लव हरियाली,
मन में कभी न बुझने देना
दीप सदा खुशियाली।
हृदय में प्रेम की ज्वाला से
अँधियारा भी पिघले।
शिक्षा के उत्तम स्वर फूटे
जो रागों को निगले
लता लता को खाना चाहे
कहीं कली को निगले
शिक्षा के उत्तम स्वर फूटे
जो रागों को निगले
कहीं कली को निगले
शिक्षा के उत्तम स्वर फूटे
जो रागों को निगले
अविरल धारा बहे सदा ही
साथ ज्ञान को लेकर
भावों के सुंदर बहते हैं
झरने अनुभव देकर
मीठी वाणी रखो सदा ही
कोई जहर न उगले
शिक्षा के उत्तम स्वर फूटे
जो रागों को निगले
लता लता को खाना चाहे
कहीं कली को निगले
शिक्षा के उत्तम स्वर फूटे
जो रागों को निगले
पतझड़ में शाखों पे खिलती
नव पल्लव हरियाली,
मन में कभी न बुझने देना
दीप सदा खुशियाली।
हृदय में प्रेम की ज्वाला से
अँधियारा भी पिघले।
शिक्षा के उत्तम स्वर फूटे
जो रागों को निगले
लता लता को खाना चाहे
कहीं कली को निगले
शिक्षा के उत्तम स्वर फूटे
जो रागों को निगले
***अनुराधा चौहान***
चित्र गूगल से साभार
अनुपम पंक्तियां बहुत अच्छा लिखा आपने
ReplyDeleteधन्यवाद सखी
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (26-02-2020) को "डर लगता है" (चर्चा अंक-3623) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
धन्यवाद आदरणीय 🙏
Deleteलता लता को खाना चाहे ,
ReplyDeleteआज के परिपेक्ष्य में सत्य बात
सुंदर रचना
हार्दिक आभार सखी
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