Saturday, May 16, 2020

बेटी की विदा(दोहे)

पाँव में मेंहदी लगी,और महावर लाल।
पायल के घुँघरू बजे,बेंदा चमके भाल।

चूड़ी खनकी हाथ में,ओढ़े चूनर लाल।
बाबुल का घर छोड़ के,लली चली ससुराल।

माता का आँचल हटा,छूटा भाई हाथ।
बहना के आँसू बहें,रोती सखियाँ साथ।

डोली में बैठी लली,नयन भरे हैं नीर।
मात-पिता सब छूटते,मन हो रहा अधीर।

कैसी जग की रीत है,कैसा यह संसार।
बेटी को करते विदा,हल्का करते भार।

दो-दो कुल को तारती,बेटी है अनमोल।
लक्ष्मी सम आदर करो,दहेज में मत तोल।
***अनुराधा चौहान'सुधी'***
चित्र गूगल से साभार

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