Sunday, May 10, 2020

कलम की ताकत

कलम नहीं तलवार है,ताकत इसकी जान।
लिखती है सच ही सदा,कहना मेरा मान।

सबकी आँखें खोलती,तेज लेखनी धार।
सच्चे लेखन से सदा,करती सब पे वार।

रोके से रुकती नहीं,करे झूठ पे वार।
सच की ताकत से सदा,करती तेज प्रहार।

लिखती मन के भाव को,विरह प्रेम के गीत।
छेड़े दिल के तार को,कलम बनी है मीत।

कोरे कागज में भरे,जीवन के यह रंग।
कलम कहे कवि से यही,मुझ बिन सब बेरंग।

***अनुराधा चौहान'सुधी'***
चित्र गूगल से साभार

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