१
कलम नहीं तलवार है,ताकत इसकी जान।
लिखती है सच ही सदा,कहना मेरा मान।
२
सबकी आँखें खोलती,तेज लेखनी धार।
सच्चे लेखन से सदा,करती सब पे वार।
३
रोके से रुकती नहीं,करे झूठ पे वार।
सच की ताकत से सदा,करती तेज प्रहार।
४
लिखती मन के भाव को,विरह प्रेम के गीत।
छेड़े दिल के तार को,कलम बनी है मीत।
५
कोरे कागज में भरे,जीवन के यह रंग।
कलम कहे कवि से यही,मुझ बिन सब बेरंग।
***अनुराधा चौहान'सुधी'***
चित्र गूगल से साभार
सुन्दर दोहे
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय
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