1
बूँद बूँद है कीमती,जल की कीमत जान।
पानी बिन जीवन नहीं,सच को ले पहचान।
2
भीषण गर्मी से तपे, सभी दिवस बन जून।
जीवन की किलकारियाँ,बिन पानी सब सून।
3
धरती का सीना फटा,सूखी जल की धार।
आँखें अम्बर पे टिकी,जल जीवन का सार।
4
संचय करना जल सभी,जीवन हो खुशहाल।
धरती से जो जल मिटा,सिर नाचेगा काल।
5
हरी-भरी हो ये धरा,शपथ उठाए आज।
नीर बचाने के लिए, उत्तम करना काज।
***अनुराधा चौहान'सुधी'***
चित्र गूगल से साभार
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (03-06-2020) को "ज़िन्दगी के पॉज बटन को प्ले में बदल दिया" (चर्चा अंक-3721) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
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सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
हार्दिक आभार आदरणीय
Deleteबहुत अच्छी जानकारी देती रचना
ReplyDeleteकाश हम सब समय रहते उस अमूल्य धन को बचा ले
सार्थक, उपयोगी और अच्छी रचना
हार्दिक आभार जोया जी
Deleteबेहतरीन दोहे आदरणीय दी 👌
ReplyDeleteधन्यवाद बहना 🌹
Deleteवाह वाह पर्यावरण को समर्पित दोहे|
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय
Deleteसार्थक जानकारी देती रचना
ReplyDeleteबहुत खूब
धन्यवाद आदरणीय
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