१
कर जोड़ करें विनती गुरुजी,प्रभु भूल सदैव क्षमा करना।
मन में गुरु का नित आदर हो,प्रभु ज्ञान प्रकाश सदा भरना,
चुभते कंटक जीवन पथ में,दुख देख हमें न पड़े डरना।
न विकार कभी पनपे दिल में,मन से सब द्वेष सदा हरना।
२
करते शत वंदन हे गुरु जी,मन ज्ञान प्रकाश दिये जलते।
गुरु ज्ञान भरी गगरी छलके,तब दोष अज्ञान नहीं पलते
गुरुके चरणों जब शीश झुके,मन के तम और नहीं खलते।
गुरुदेव मिले वर से जग में,सुख के फल फूल सदा फलते।
***अनुराधा चौहान'सुधी'***
चित्र गूगल से साभार
दुर्मिल सवैया
112 112 112 112 112 112 112 112
कर जोड़ करें विनती गुरुजी,प्रभु भूल सदैव क्षमा करना।
मन में गुरु का नित आदर हो,प्रभु ज्ञान प्रकाश सदा भरना,
चुभते कंटक जीवन पथ में,दुख देख हमें न पड़े डरना।
न विकार कभी पनपे दिल में,मन से सब द्वेष सदा हरना।
२
करते शत वंदन हे गुरु जी,मन ज्ञान प्रकाश दिये जलते।
गुरु ज्ञान भरी गगरी छलके,तब दोष अज्ञान नहीं पलते
गुरुके चरणों जब शीश झुके,मन के तम और नहीं खलते।
गुरुदेव मिले वर से जग में,सुख के फल फूल सदा फलते।
***अनुराधा चौहान'सुधी'***
चित्र गूगल से साभार
दुर्मिल सवैया
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अनुराधा जी
ReplyDeleteबहुत ही सार्थक , गुरु के प्रति श्रद्धा और भावनाओं को उकेरती रचना
दुख देख हमें न पड़े डरना।
न विकार कभी पनपे दिल में,मन से सब द्वेष सदा हरना।
बहुत ही अच्छा भाव, दुःख मिलने या ना मिलने ये हमारे हाथ में नहीं गुरु और प्रभु ये रास्ता दिखाए की हम उस दुःख से डरे नहीं , ना द्वेष , उससे आगे बढ़े
बहुत सार्थक रचना
शुभकामनाओं सहित सादर नमस्कार
धन्यवाद आदरणीया
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