सुन नागर नंदकिशोर प्रभो,
मुरलीधर दीनदयाल हरे।
भवसागर में मन डोल रहा,
दुख की बदरी टरती न टरे।
दुख जीवन से सब दूर करो,
सुन नाथ हटा सब पीर परे।
जगतारण दूर करो विपदा,
विनती सुनलो कर जोड़ करे।
सुख भोग लिए जब खूब सभी,
फल भी दुख के कुछ रोज चखें।
जब काल कराल नहीं वश में,
तब केवल संयम को परखें।
मन संकट से डर के न रुके ,
यह सीख सभी अब याद रखें।
हरि नाम जपो दुख दूर हटे,
मन में प्रभु की छवि को निरखें।
***अनुराधा चौहान'सुधी'***
चित्र गूगल से साभार
दुर्मिल सवैया
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भक्ति रस में सराबोर सुन्दर सवैय्या।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीय
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