प्रेम बिना जीवन है सूना,
प्रेम बढ़ाता है सुख दूना।
प्रेम मिटाता मन की दूरी,
होती सबकी आशा पूरी।
प्रेम देख दुश्मन झुक जाए,
हाथ बढ़ाकर साथ निभाए।
करलो प्रभु की भक्ति प्रेम से ,
बड़ी नहीं है शक्ति प्रेम से ।
अपनों से जब नेह लगाए,
जीवन का सच्चा सुख पाए।
प्रेम बिना हर बात अधूरी,
रिश्तों में बढ़ जाती दूरी।
द्वेष हटाकर मन से सारे,
बनकर रहना सबके प्यारे।
आओ सबसे हाथ मिलाएँ,
सबको अपना मित्र बनाएँ।
प्रेम भरी जो बोले वाणी।
उसको चाहें हर इक प्राणी।
सबके मन में रच-बस जाता।
प्रेम मंत्र से आदर पाता॥
©® अनुराधा चौहान'सुधी'स्वरचित*
चित्र गूगल से साभार
प्रेम बिना हर बात अधूरी, रिश्तों में बढ़ जाती दूरी । बहुत सुंदर कविता है यह आपकी अनुराधा जी ।
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय
Deleteसही बात है ,प्यार ताकत और हिम्मत देता हैं, दूरियों को घटा देता है , बहुत ही सुंदर रचना, नमन
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीया
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