Monday, June 21, 2021

सुमुखि सवैया



121 121 121 12, 1 121 121 121 12

1
*विलास*
विलास विवेक विनाश करें,वरदान नहीं अभिशाप बने।
प्रयास पुनीत प्रयोग बने,परिणाम बनी पदचाप सुने।
निखार नवीन निषेध नहीं,अभिमान तजे निष्पाप बने।
सदैव सुमित्र समेत चलें,हर काम सदा चुपचाप गुने।

2
*सरोवर*
समीर सुगंध भरी चलती,मन झूम रहा खुश होकर है।
सरोज सरोवर में महके,अलि झूम उठे सुध खोकर है।
प्रभात प्रकाश निहाल करे,तब जीव जगे फिर सोकर है।
देवालय नाद सुहावन सा,सब जोड़ रहे कर धोकर है।
*अनुराधा चौहान'सुधी'*

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