मात-पिता को शीश नवाना।
मनचाहा जीवन सुख पाना।
नहीं निरादर उनका करना।
स्नेह आशीष जीवन भरना॥
आदर का मन भाव जगाकर।
ममता का सिर आँचल पाकर।
सच्चे मन से कर लो सेवा।
सेवा से मिलती है मेवा॥
फिर होती अभिलाषा पूरी।
आलस से रखना बस दूरी।
जीवन में सम्मान मिलेगा।
आँगन सुख का पुष्प खिलेगा॥
करना मत इनको अनदेखा।
हाथ मिटे फिर सुख की रेखा।
रिश्तों में यह जीवन भरते।
खुशियों के घर मोती झरते॥
नींव प्रीत की पक्की होती।
बनके रहती माला मोती।
सुंदर यह संस्कृति हमारी।
सदा सिखाती जिम्मेदारी॥
©® अनुराधा चौहान'सुधी'स्वरचित ✍
चित्र गूगल से साभार
सच कहा आपने, सुन्दर।
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