Tuesday, November 12, 2019

स्वप्न अलबेला

गुड़िया ने देखा स्वप्न अलबेला,
देखे रोज नया झमेला।
बैठी पेड़ पर गौरय्या रानी ,।
तन पे कोट घड़ी हाथ में पहनी।
हाथ में लेकर चाय की प्याली,
कहे पीलो अदरक वाली।
देख नजारा गुड़िया चकराई,
मम्मी को आवाज लगाई।
मम्मा-पापा जरा यह तो देखो,
बदल रही है दुनिया देखो।
अब यह सब भी पहनेंगे टाई,
बिल्ली भी करेगी सिलाई।
क्या हाथी की पोशाक सिलेगी,
दुनिया बड़ी अलग दिखेगी।
गौरेय्या रानी तुम बतलाओ,
जरा संग कमरे में आओ।
आओ बन जाएं सखी-सहेली,
बूझे दुनिया की  पहेली।
जब उठी नींद से बाहर भागी,
पेड़ की कट गई थी वह डाली।
जोर-जोर से रोई थी गुड़िया,
अच्छी थी सपनों की दुनिया।
सभी वहाँ हिलमिल के रहते,
हर बार पर नहीं झगड़ते।
कितना अनोखा वह संसार,
सभी करते थे आपस में प्यार।
***अनुराधा चौहान***

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