मत दो आवाज हमें
कदम नहीं रुकने वाले
हौसले परवाज़ है
यह नहीं थकने वाले
कर लिया इरादा
लक्ष्य पर है निगाहें
क्या रोक सकेंगी हमें
आने वाली बाधाएं
आँधियों का हमें भय नहीं
बारिश से हम रुके नहीं
हौसले के परवाज़ हम
अब रोके से रुकें नहीं
काँटे भरी डगर मिली
तो कोमल उसे बनाएंगे
मंज़िल को मुश्किलों
छीनकर हम ले आएंगे
हौसले परवाज़ है
छुएंगे ऊँचाईंयो को
लिखेंगे नई इबारत
अपनी पहचान बनाएंगे
बहुत भटक लिए
अब कदम नहीं रुकने वाले
मृग मरीचिका की चाह में
अब नहीं फंसने वाले
उम्मीद का जलता दिया
अब नहीं बुझने वाला
हौसले परवाज़ है
अब हम नहीं रुकने वाले
***अनुराधा चौहान***
चित्र गूगल से साभार
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