प्रीत के सुनहरे धागों में
पिरोए भावों के सुंदर मोती
एहसासों के रंग से रंग कर
माला गुंथी मैंने अलबेली
सच्चाई के मजबूत धागे
अहसासों से इसको बांधे
मन के भाव इसके मोती
वाणी हैे इसकी ज्योती
ज्ञान का अद्भुत भंडार
शब्दों का यह सुंदर संसार
शब्दों से ही रचा-बसा है
भावों का अनुपम प्यार
साहित्य का यह वरदान
कविताएं है इसकी शान
सुंदर भावों से सजा रहे
चमकें सदा सूरज बनके
दिन बीते बरस बीतते रहे
कारवां यूँ हीं गुजरता रहे
मिलते रहें साथी नए हरदम
यह सफर यूं ही चलता रहे
मन से भावों का झरना बहे
नित नया गीत बनता रहे
मन भावों की अभिव्यक्ति
दिन-प्रतिदिन खिलती रहे
कलम की सुगंध फैले चहुंओर
प्रीत का गीत बने यह डोर
मन के सुंदर भाव भर कर
लाई यह कविता लिख कर
डोर कभी यह टूटे ना
साथ कभी यह छूटे ना
बहुत मिला है ज्ञान यहांँ पर
साथी कोई यहाँ कोई रूठे ना
भावों के अनमोल विचार
भावनाओं का सागर अपार
शब्दों में रची-बसी इसकी दुनिया
साहित्य का यह अद्भुत संसार
***अनुराधा चौहान***
चित्र गूगल से साभार
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