Sunday, November 10, 2019

काश जिगर में तुम बस जाते

आँखों में है आस चमकती, डर हटता।
मन भीतर खुशियाँ हैं बिखरी,तम मिटता।
काश जिगर में तुम बस जाते,गम मिटता।
दिल की बात किसको सुनाते,जी करता।

कह न सकी इस दिल की पीड़ा,गम सहती
रात भर मैं करवट बदलती,कम सोती।
सुनकर मेरे दिल की बातें,जग हँसता।
काश जिगर में तुम बस जाते,गम मिटता।

हाथ पकड़कर चलदी तेरे,पथ कटता।
पग-पग पर मिलती बाधाएं,मन डरता।
तुम्हें बसाया दिल में अपने,रब दिखता।
काश जिगर में तुम बस जाते,गम मिटता।

देख तुझे मैं खुश हो जाती,मन खिलता
सुन प्रीत भरी तेरी बातें,मन हँसता।
नयनों से परदे हट जाते,भ्रम हटता।
काश जिगर में तुम बस जाते,गम मिटता।
***अनुराधा चौहान***
चित्र गूगल से साभार

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