मेरे बस में नहीं मेरा दिल रहा,
कुछ टूटा और कुछ छूट गया,
दिल में यादों का धुआँ उठा,
कुछ टूटा और कुछ छूट गया।
माँगी यह दुआ तू खुश रहे
जिस घर की तू दुल्हन बने
खुशियों भरा हो वो अँगना
मेरे बस में नहीं मेरा दिल रहा
कुछ टूटा और कुछ छूट गया
टूटे हुए तारे-सी है किस्मत मेरी
खुशियाँ चल दी छोड़ देहरी मेरी
यह दिल क़िस्मत पर रो पड़ा
मेरे बस में नहीं मेरा दिल रहा
कुछ टूटा और कुछ छूट गया
अब यादों की गठरी साथ ले
चल दिए प्रीत में हम बर्बाद हुए
तन्हाईंयों ने घेरा घर मेरा
मेरे बस में नहीं मेरा दिल रहा
कुछ टूटा और कुछ छूट गया
***अनुराधा चौहान***
चित्र गूगल से साभार
चित्र गूगल से साभार
सुन्दर भाव।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीय
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