क्या साथ लेकर आए,
साथ क्या ले जाएंगे जी,
बेकार है मोहमाया,
उलझ न जाइए।1।
तेरा मेरा करने में,
मन में द्वेष पाल के,
अनमोल समय को,
यूँ ही न गंवाइए।2।
सीखकर गीता ज्ञान,
कर्म गति पहचान,
समाज की भलाई के,
कदम उठाइए।3।
लिया कुछ यहाँ से जो,
रह जाए पीछे वह,
कर्म गति न तेज की,
फिर पछताइए।4।
***अनुराधा चौहान***
चित्र गूगल से साभार
जी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(१४-१२-२०१९ ) को " पूस की ठिठुरती रात "(चर्चा अंक-३५४९) पर भी होगी।
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता सैनी
हार्दिक आभार सखी
Deleteबहुत सुंदर छंद सृजन सखी ।
ReplyDeleteमनभावन।
हार्दिक आभार सखी
Deleteसुन्दर
ReplyDeleteक्या आपको वेब ट्रैफिक चाहिए मैं वेब ट्रैफिक sell करता हूँ,
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