Thursday, December 19, 2019

अभी नहीं तो कभी नहीं

अभी नहीं तो कभी नहीं,
चलो झुका लें आसमान को।
डर कर कहीं रुक न जाना,
बढ़ा हौसले की उडान को।

भरकर मन में जोश नया,
हर मुश्किल से टकरा जाना।
पत्थर का चीर के सीना,
एक नई डगर बनाना है।
अब डरना नहीं न झुकना
कुछ कर दिखा दे जमाने को।
अभी नहीं तो कभी नहीं,
चलो झुका लें आसमान को

विरोध होता रहता है,
हर नये काम के आगाज का।
पग-पग पर पथ हैं रोके,
जिसने सच का दामन थामा।
अब रोके ना बाधाएं,
हमें मोड़ देंगे उस पथ को।
अभी नहीं तो कभी नहीं,
चलो झुका लें आसमान को

जीवन पथ टेढ़ा-मेढ़ा,
आसान नहीं है कुछ पाना।
मेहनत के दम पर हमें,
यह सोच बदलते जाना है।
आशाओं के दीप जला,
दूर भगा दें अँधियारो को।
अभी नहीं तो कभी नहीं,
चलो झुका लें आसमान को।

***अनुराधा चौहान***
चित्र गूगल से साभार

7 comments:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(२१ -११ -२०१९ ) को "यह विनाश की लीला"(चर्चा अंक-३५५६) पर भी होगी।

    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    ….
    अनीता सैनी

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  2. .. वाह सकारात्मकता से भरी हुई रचना वर्तमान परिपेक्ष में जरूरत है इस तरह की कविताओं की बहुत ही शानदार लिखा आपने

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    1. हार्दिक आभार अनीता जी

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  3. जय मां हाटेशवरी.......

    आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
    आप की इस रचना का लिंक भी......
    22/12/2019 रविवार को......
    पांच लिंकों का आनंद ब्लौग पर.....
    शामिल किया गया है.....
    आप भी इस हलचल में. .....
    सादर आमंत्रित है......

    अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक:
    http s://www.halchalwith5links.blogspot.com
    धन्यवाद

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  4. Replies
    1. हार्दिक आभार आदरणीया

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