Friday, February 14, 2020

भोर नवेली

आई सुंदर भोर नवेली,
निकली घर से सखी-सहेली।
सूरज सिर पर लगा चमकने,
सरोवर में कमल दल हँसने।।

खिल आई पूरब में लाली,
कलियाँ खिलती डाली डाली।
चली बसंती हवा हर प्रहर,
सुखद अनुभूति से भरी लहर।।

सजी अलौकिक सुंदर आभा,
अंशु फैलाए जग में प्रभा।
मृदु माली बन जीवन सेता,
धरती पे यह जीवन देता ।।

सुबह-सवेरे उठकर आता,
जग में उजियारा फैलाता।
भरे लालिमा निखरती भोर,
पक्षी कलरव का हुआ शोर।।

***अनुराधा चौहान***
चित्र गूगल से साभार

4 comments:

  1. बहुत सुंदर सखी!!
    कोमलतम प्रकृति दृश्यों का सरस अवलोकन।

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  2. प्रकृति प्रधान मन को सुकून देने वाली रचना प्रणाम जी

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  3. धन्यवाद आदरणीया

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