बड़ी पावन पुनीता है,हमारी देश की धरती।
सपूतों की जनक जननी,सभी का पेट है भरती।
करें सेवा सदा सैनिक,तभी हम शान से जीते।
शहीदों की चिताओं पे,नयन से बूँद है झरती।
खड़े ये धूप बारिश में,सदा सुख चैन हैं खोते।
कटाते शीश ये अपना,तभी हम रैन में सोते।
सहें हर वार सीने पे,कभी पीछे नहीं हटते।
तिरंगे में लिपट सोते,विदाई देख हम रोते।
सहें पीड़ा जुदाई की,धरा पे वीर की माता।
धरा की आन की खातिर,पिया ये विष सदा जाता।
झुका दे ये सभी आँखें,धरा की ओर जो उठती।
डटे दीवार बन के ये,न तोड़ें देश से नाता
कहानी वीर की जग में,न कोई भूल पाएगा।
शहीदों की चरण धूली,सदा माथे लगाएगा।
खड़े दीवार बन के ये,तभी हम चैन पाते हैं।
करो सम्मान सब इनका,तिरंगा मुस्कुराएगा।
***अनुराधा चौहान'सुधी'***
चित्र गूगल से साभार
भारत माता की जय 🙏
ReplyDeleteबेहतरीन
Deleteधन्यवाद अपर्णा जी और नीता जी
Deleteहृदय स्पर्शी सृजन सखी.
ReplyDeleteनमन वीर सपूतों को 🙏
हार्दिक आभार सखी
Deleteवाहहह! शानदार रचना👌👌👌👌👌
ReplyDeleteधन्यवाद सखी
Deleteदेश की शौर्य गाथा की सुन्दर रचना।
ReplyDeleteलाज़बाब
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