जीवन पथ कंटक,सदा मिला है ।
मानो इस सच को,सदा फला है।
आँख फेरते सब,देते गाली।
मंत्र सीख लो यह,हो खुशहाली
बैर भाव दीपक,हृदय जला है
भीतर मीठा फल ,सदा गला है।
सिंदूरी संध्या,सबकी चाहत।
करता कड़वा विष,जीवन आहत।
अवगुण ये मानव,सदा मिला है।
बनकर वो दानव,सदा छला है।
हेर फेर जीवन,सत्य यही है।
माटी की काया,सदा ढही है।
***अनुराधा चौहान'सुधी'***
विज्ञात योग छंद
बहुत सुन्दर सृजन. बधाई.
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीया
Deleteसिंदूरी संध्या,सबकी चाहत।
ReplyDeleteकरता कड़वा विष,जीवन आहत।
क्या बात है
धन्यवाद आदरणीया
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