गूँज उठी तलवारें रण में,
मचता भीषण हाहाकार।
रावण के सिर काट रहे हैं,
रघुवर करके विकट प्रहार।
सीता व्याकुल देख रही है,
कब आएंगे राजा राम।
मुझको भय से मुक्त करेंगे,
कर रावण का काम तमाम।
राम सिया की गूँज उठी तो,
रावण ठोके खाली ताल।
मर्कट के बल क्या जीतेगा,
वनवासी का आया काल।
भेद विभीषण खोल रहे थे,
चलते सुनकर रघुवर चाल।
दानव दल को मार गिराते,
रघुवर बनके सबके काल।
वानर रण में शोर मचाते,
करते लंका नगर विनाश।
चीख पड़ी रावण की लंका,
देख कटीले विधना पाश।
लक्ष्मण अंगद जामवंत सब
रिपु दल पर करते थे वार
हाथों में भाला तलवारें
भीषण करते फिर संहार।
भूल गया था नाथ सभी के
जिसके बल चलता संसार
बन रघुवर का दास नहीं तो
रावण तेरी तय है हार
मोहपाश जकड़ा हुआ,कुल का करे विनाश।
अभिमानी अभिमान में, तेरा होगा नाश॥
*अनुराधा चौहान'सुधी'*
चित्र गूगल से साभार
*आल्हा छंद पर सृजन*
भूल गया था नाथ सभी के
ReplyDeleteजिसके बल चलता संसार
बन रघुवर का दास नहीं तो
रावण तेरी तय है हार---बहुत ही अच्छी रचना है...
हार्दिक आभार आदरणीय
Deleteवानर रण में शोर मचाते,
ReplyDeleteकरते लंका नगर विनाश।
चीख पड़ी रावण की लंका,
देख कटीले विधना पाश।
बहुत सुन्दर
हार्दिक आभार आदरणीय
Deleteराम रावण युद्ध का बहुत सुंदर छायाचित्र ।🙏🙏💐
ReplyDeleteवाह! काव्य-प्रबंध की अनुपम छटा। बधाई!!!
ReplyDeleteहार्दिक आभार
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