Sunday, June 20, 2021

सुंदरी सवैया



मापनी 

112 112 112 112, 112 112 112 112 2

*१.. गुरूदेव जी को समर्पित*
विनती करते कर जोड़ खड़े, गुरुदेव कृपा अपनी बरसाना।
गगरी मन की भरके छलके,इस जीवन में खुशियाँ भरजाना। 
सच के पथ पे चलते चलते,भटके मन को पथ भी दिखलाना।
भटके मन को जब राह मिले, करते मनसे सब ही शुकराना।

*३.. छंदशाला को समर्पित* 
यह छंद समूह रचे रचना,नव छंद बने नित ही अब शाला।
रस भाव भरे उपमा लिखते,भरते बस प्रेम भरा सब प्याला।
मनसे लिखते नित छंद यहाँ,मनसे भरते रस हैं मतवाला।
मिलती सबको नव छंद विधा,मिलके इतिहास सभी रच डाला।

*३--सच हुए सपने*
सच आज हुए सपने मन के,दुख ढूँढ रहा छुपने अब कोना।
पल सुंदर हाथ लगे अपने,पकड़ो कसके इसको मत खोना।
चुनना सच की तुम राह अभी,दुखड़े पिछड़े मत लेकर रोना।
जब बोझ बने पिछली गलती,उसको मत जीवन में फिर ढोना।

*४--घनघोर घटा*
चपला चमके गरजे बरसे,मनभावन सावन है मतवाला।
उमड़े बदली घनघोर घटा,तरु पीकर झूम उठे अब हाला।
मनमोहक सुंदर देख छटा।कजरी सुन नाच रही फिर बाला।
सब शोर मचाकर नाच रहे,बरसे हर ओर यही सुख शाला।
*अनुराधा चौहान'सुधी'*
चित्र गूगल से साभार

2 comments:

  1. वाह छंद बद्ध कविताओँ की बात ही कुछ ओर है ।
    बहुत खूब ।

    सादर

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    Replies
    1. हार्दिक आभार आदरणीय

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