211 211 211 211,211 211 211 22
1
*संकटमोचन*
संकटमोचन का कर वंदन,दूर करें विपदा शुभकारी।
वायु पुत्र बजरंग बली यह,मंजुल मूरत मंगलकारी
पीर बढ़े जब भी धरती पर,मानव संकट देकर भारी
मारुति संकट दूर करे सब,वानर वीर गदा जब धारी।
2
*सौरभ*
झाँक रहा नभ आज धरा पर,देख रहा बिखरी हरियाली।
सौरभ फैल रही मनमोहक,मारुत मंद बहे खुशहाली।
भोर हुई फिर सूरज ओझल,ओट छुपा बदली फिर लाली।
खेल रहा चुपके-चुपके कुछ,झाँक रहा घर की फिर जाली।
*अनुराधा चौहान'सुधी'*
चित्र गूगल से साभार
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